फ़िलहाल खाड़ी देशों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी है , लेकिन इसका ज्यादा फायदा हमारे देश के उपभोक्ता इसलिए नहीं उठा पा रहे हैं , क्योंकि यहां कर की दरें ज्यादा हैं. इस मामले में राहत नहीं मिलने से दुखी ईंधन उपभोक्ताओं को यह खबर और दुखी कर देगी कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और गैर ओपेक तेल उत्पादक देशों के बीच 2018 के अंत तक तेल के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया है .उत्पादन घटने से मांग तो कम नहीं होगी.इसका असर आपूर्ति पर पड़ेगा.फलस्वरूप देश में डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि कड़ी देशों द्वारा कच्चे तेल में गिरती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया है .भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका असर देखने को मिलेगा. इस कारण भारत में मिलने वाले पेट्रोल और डीजल कम से कम 5 रुपये तक महंगा होने की आशंका जताई जा रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 60 डॉलर के करीब पहुँच गई है.
बता दें कि कड़ी देशों के अलावा अमेरिका भी कच्चे तेल का उत्पादन करने लगा है.लेकिन वह कच्चे तेल के उत्पादन कम करने के निर्णय में शामिल नहीं हुआ है .ओपेक के निर्णय से ईंधन के दाम बढ़ना निश्चित जानकर रूस इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं उत्पादन कटौती के कारण तेल की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अमेरिका अपने यहां उत्पादन न बढ़ा दे. वैसे रूस की चिंता वाज़िब है क्योंकि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है.
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