देश के नागरिक आम तौर पर अपने अधिकारों को लेकर तो हमेशा जागरूकता दिखाते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों को लेकर गंभीर नहीं रहते . इस बात को मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि मौलिक अधिकारों से कोई भी समझौता नहीं हो सकता, लेकिन नागरिकों के मौलिक कर्तव्य भी अधिकारों की तरह ही अहम है.
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर उच्च न्यायालय परिसर में दिए गए सम्बोधन में मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने कहा कि मौलिक अधिकारों से कोई भी समझौता नहीं हो सकता, लेकिन नागरिकों के मौलिक कर्तव्य भी अधिकारों की तरह ही अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए उन्होंने महिलाओं की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली कुप्रथाओं को छोड़ने,वनों, झीलों, नदियों एवं वन्यजीवों के संरक्षण ,जीव-जंतुओं के प्रति करुणा दिखाने, मानवता विकसित करने , सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा कर हिंसा छोड़ने जैसे परम कर्तव्यों का उल्लेख किया.
इसके अलावा न्यायमूर्ति ने लोगों को सभी की आस्था, विश्वास एवं धर्म के प्रति पूरी तरह आदर और समान भाव रखने, दर्जे और मौके की समानता के साथ ही देश की गरिमा भी सुनिश्चित करनी चाहिए. निश्चित ही न्यायमूर्ति के इस सम्बोधन से सभी प्रेरणा लेंगे.
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