नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 2024 के लिए कमर कस ली है। गैर-भाजपाई और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने की पहली कोशिश विफल होने के उपरांत अरविंद केजरीवाल ने अब प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध अकेले ही मैदान में उतरने का निर्णय कर लिया है। इसकी शुरुआत 23 मार्च को भगत सिंह की शहीदी दिवस से की जाने वाली है। 'आप' ने घोषणा की है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' अभियान का आगाज करेंगे जो 2024 तक चलने वाला है।
यह ऐलान ऐसे समय पर किया गया है जब दिल्ली में ऐसे ही नारों वाले पोस्टर को लेकर विवाद बढ़ता चला जा रहा है। छापने वाले और छपवाने वाले के नाम के बिना पूरी दिल्ली में लगाए गए पोस्टर से संबंध भी AAP ने परोक्ष रूप से स्वीकार कर लिया है। माना जा रहा है कि यह पोस्टर विवाद पार्टी के कैंपेन का पहला भाग। अब इस नारे के साथ दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी मोदी गवर्नमेंट के विरुद्ध मोर्चा खोलने जा रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मुहिम की शुरुआत करने वाले है । उन्होंने बोला कि पूरे देश में निराशा का माहौल है और लोकतांत्रिक आवाजों का दमन किया भी किया जा रहा है। राय ने बोला है, 'मोदी हटाओ, देश बचाओ के नारे को पूरे देश में ले जाया जाने वाला है। देश आपकी तानाशाही को सहने वाला नहीं है। अब सारी हदें पार हो चुकी हैं।'
पार्टी सूत्रों का बोला है कि यह 2024 के लिए कैंपेन का आगाज है। आप के कई नेता पहले ही कह चुके हैं कि 2024 का चुनाव 'मोदी बनाम केजरीवाल' होने वाला है। हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि केजरीवाल ने 18 मार्च को देश के 7 राज्यों के मुख्यमंत्री को दिल्ली में डिनर पर बुलाया था, जिसमें एक मोर्चा बनाने की प्रयास भी कर रहे है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव समेत कई नेताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन इन नेताओं ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, बुधवार को खुद केजरीवाल ने बोला है कि लीक हुए लेटर का राजनीतिक मकसद नहीं था। यह एक गवर्नेंस मंच है। एक दूसरे के अच्छे काम सीखने के मकसद से इसे बनाया जाने लगा है। लेकिन दूसरी व्यस्तताओं की वजह से नेता नहीं आ सके। आगे यह बैठक हो सकती है।
ऐसे में माना जा रहा है कि केजरीवाल अब मोदी के विरुद्ध अकेले ही मैदान में उतरेंगे। आने वाले दिनों में वह देशव्यापी अभियान छेड़ने वाले है। 'आप' को उम्मीद है कि इस अभियान को आक्रामक तरीके से चलाने के उपरांत अन्य दल उसके साथ जुड़ सकते हैं। फिलहाल लोकसभा में 'AAP' का एक भी सांसद नहीं है। लेकिन पार्टी अगले वर्ष खुद को भाजपा के विकल्प के रूप में पेश करने का प्रयास करेगी। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल मोदी को वाराणसी सीट से सीधी टक्कर भी दी है। हालांकि, तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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