लेह: पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन ने गत वर्ष अप्रैल महीने से ही सीमा विवाद शुरू कर दिया था. इसके बाद 15 जून को पूरे मामले ने तब हिंसक रूप ले लिया, जब गलवान घाटी में भारत और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में खुनी संघर्ष हो गया था. इस हिंसक टकराव में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जबकि चीन के भी कई जवान मारे गए थे. एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पूर्वी लद्दाख के कुछ प्वाइंट्स पर स्थिति यथावत बनी हुई है.
हालांकि, इस एक साल में इंडियन आर्मी और एयरफोर्स ने अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा लिया है और चीन की किसी भी नापाक हरकत से निपटने के लिए पूरी तरह से सीमा पर मुस्तैद है. 15 जून, 2020 को चीनी सेना ने गलवान घाटी में हिंसक झड़प करके खुद का ज्यादा नुकसान कर लिया. जहां इंडियन आर्मी ने लद्दाख सेक्टर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर ली है, वहीं राफेल फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में शामिल करके भारतीय वायु सेना पहले से अधिक शक्तिशाली हो गई है.
यूं तो बॉर्डर पर पिछले कई वर्षों से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का काम चल रहा था, किन्तु बीते एक साल में इसमें और तेजी आई है. बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) सड़क को सुगम बनाने के लिए दिन-रात काम में लगा हुआ है. अधिकारियों ने बताया कि विश्व की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला, मार्समिक ला या खारदुंग ला समेत सभी क्षेत्रों में सभी फॉरवर्ड जगहों के लिए सड़क संपर्क में सुधार किया गया है, उन्हें बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन की सहायता से पूरे साल आर्मी के आवागमन के लिए खुला रखा गया. उन्होंने यह भी कहा कि, ''कनेक्टिविटी ने हमें अपने सभी फॉरवर्ड स्थानों को पूरे साल सप्लाई करने में सहायता की है और हमें कुछ ही समय में सैनिकों को तैनात करने की क्षमता दी है.''
इंडियन एयरफोर्स को राफेल फाइटर जेट मिलने से भी उसकी ताकत में इजाफा हुआ है, यह जेट दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में से एक है. फ्रांस से भारत को मिलने के बाद वायुसेना की ताकत पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है. आने वाले वक़्त में कई और राफेल जेट भारत पहुँचने वाले हैं, जिनका उपयोग बॉर्डर पर होने वाली किसी भी नापाक हरकत से निपटने में किया जा सकता है. दुश्मन देशों को मात देने के लिए राफेल फाइटर जेट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. अधिकारियों का कहना है कि राफेल के साथ ही मिग-29 और सुखोई-30 बेड़े उत्तरी सीमाओं पर आसमान में हावी रहे हैं और दूसरा स्क्वॉड्रन इस महीने के आखिर तक ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाएगा.
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