भगवान् गणेश की चतुर्थी आने वाली है और इस बार इसमें बहुत ख़ास बात है और वो यह है की भगवान गणेश जी को समर्पित दिन बुधवार को है। वही इस दिन गणपति की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, इसके साथ ही घर धन धान्य से पूर्ण हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वही फाल्गुन मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी इस वर्ष 12 फरवरी दिन बुधवार को है। इसके साथ ही संकष्टी गणेश चतुर्थी हर मास कृृष्ण पक्ष में आती है।
मुहूर्त
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 12 फरवरी तड़के 2 बजकर 52 मिनट से हो रहा है, इसके अलावा जो 12 फरवरी को देर रात 11 बजकर 39 मिनट तक है। चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय रात 9 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा।
व्रत एवं पूजा विधि
चतुर्थी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।
फिर एक गणेश प्रतिमा और जल सहित कलश की स्थापना पूजा स्थल पर करें।
शाम के समय में गणेश जी आराधना करें। उनका धूप, दीप, अक्षत्, रोली, गंध, फूल आदि से षोडशोपचार पूजन करें। उनको दूर्वा जरूर अर्पित करें।
फिर संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की कथा सुनें और गणेश जी की आरती करें।
पूजा के समय उनको 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। उनमें से 5 गणपति को अर्पित कर दें।
बाकी प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें।
अर्घ्य
गणेश चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बिना पूरा नहीं माना जाता है। इसके अलावा पूजा के बाद चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को विधिपूर्वक अर्घ्य दें। वही चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रती को भोजन ग्रहण करना चाहिए।
व्रत का महत्व
संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत विशेष तौर पर महिलाएं करती हैं।
वे विघ्नहर्ता श्री गणेश से अपनी संतान और परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
उनकी लंबी आयु और परिवार को विघ्न बाधाओं से मुक्त रखने का आशीष मांगती हैं।
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