बुद्धि के दाता श्री गणेश जिन्हें प्रथम पूज्य भी कहा जाता है, उनका जन्मोत्सव आने वाला है. इनके जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के दिन मनाया जाता है जो हर सार भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को आती है. ये पर्व पूरे दस दिन यानी अनंत चौदस तक मनाया जाता है और हर जगह हर्षोल्लास का माहौल रहता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां गणेश जी की प्रतिमा का आकार रोज़ बढ़ता है. जी हाँ, आइये जानते हैं उनके बारे में.
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दरअसल, आंध्र प्रदेश के चित्तूर में गणपति का एक ऐसा ही मंदिर है जिसे चमत्कारी मंदिर कहा जाता है. इसके चमत्कार होने के कारण है कि यहां की मूर्ति का आकार हर रोज़ बढ़ता है. कहा जाता है यहां आने वाले के सारे पाप खत्म हो जाते हैं और इसलिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. बता दें, ये मंदिर नदी के बीच में बसा है. आप इस मूर्ति को देखेंगे तो यकीन नहीं होगा लेकिन जब पेट और घुटने पर नजर जाएगी तो आप भी मान जायेंगे कि इसका अाकार हर रोज़ बढ़ता है. इसी खास वजह से इस मंदिर को पहचाना जाता है.
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ये मंदिर जिस नदी बना हुआ है उस नदी की भी अजीब कहानी है. यहां के लोग बताते हैं कि संखा और लिखिता नाम के दो भाई थे जो एक दिन लम्बी यात्रा पर निकले. यात्रा के दौरान लिखिता को भूख लगी तो उसने आम के पेड़ से आम तोड़ने की कोशिश की लेकिन उसके भाई ने उसे मना किया. इतना ही नहीं उसके भाई ने उसकी शिकायत पंचायत में कर दी जिससे उसके दोनों हाथ काट दिए गए. लिखिता ने कनिपक्कम के पास स्थित इसी नदी में अपने हाथ डाले थे, जिसके बाद उसके हाथ फिर से जुड़ गए. तभी से इस नदी का नाम बहुदा रख दिया गया, इसका मतलब होता है आम आदमी का हाथ.
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