इस साल 13 सितम्बर 2018 को गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो रही है, हिन्दू धर्म में श्री गणेश को प्रथम पूजनीय माना गया है. हर मंगल कार्य में सबसे पहले श्री गणेश का ही पूजन किया जाता है, लेकिन अगर गणेश चतुर्थी की बात करें तो हम आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी की तयारी आप किस तरह कर सकते हैं. गणेश चतुर्थी पर वैसे तो गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है, लेकिन अगर आप मूर्ति नहीं रखना चाहते तो आप एक पूजा की सुपारी को भी गणेशजी मानकर स्थापित कर सकते हैं.
100 साल पूरे कर चुका है गणेश जी का यह मंडल
गणेश जी के स्थान के उलटे हाथ की तरफ जल से भरा हुआ कलश चावल या गेहूं के ऊपर स्थापित करें, धूप व अगरबत्ती लगाएं, कलश के मुख पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें. पूजन के प्रारंभ में हाथ में अक्षत, जल एवं पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन, गणेश ध्यान एवं समस्त देवताओं का स्मरण करें, अब अक्षत एवं पुष्प चौकी पर समर्पित करें. भगवान गणेश का आह्वान करें, गणेश आह्वान के बाद कलश पूजन करें. कलश उत्तर-पूर्व दिशा या चौकी की बाईं ओर स्थापित करें, कलश पूजन के बाद दीप पूजन करें. इसके बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणेश पूजन करें, परंपरानुसार पूजन करें.
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गणेश पूजन के दौरान आरती के समय का विशेष रूप से ध्यान रखें उसे अपनी सुविधानुसार बढ़ाएं घटाएं नहीं. नियमित एक ही समय पर आरती करें और पूजन या आरती करते समय स्वछता का विशेष ध्यान रखें. रोज़ाना गणेश जी को भोग लगाएं उनके सामने दूर्वा, मोदक के लड्डू और पंच मेवा भी रखें, प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें.
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