26 अक्टूबर 1965, अमेरिका के इंडियाना में पुलिस को जानकारी प्राप्त हुई कि यहां Gertrude Baniszewski नामक महिला के घर में 16 साल की लड़की सिल्विया मैरी लाइकिन्स की लाश पड़ी हुई है. गर्ट्रूड ने पुलिस को बताया कि सिल्विया पर कुछ बदमाश लड़कों ने हमला करके उसका सामूहिक बलात्कार किया. फिर उसे कई टॉर्चर दिए, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई.
साथ ही गर्ट्रूड ने सिल्विया द्वारा लिखी एक चिट्ठी भी पुलिस को दी. जिसमें इस घटना का पूरा सिलसिला लिखा हुआ था. लेकिन जब पुलिस ने लाश को देखा तो उन्हें शक हुआ कि मामला कुछ और ही है. क्योंकि सिल्विया के शरीर पर जो चोट के निशान नजर आर रहे थे वे बहुत पुराने प्रतीत हो रहे थे. उसका शरीर भी इतना कमजोर दिख रहा था मानो उसने कई दिनों से कुछ खाया-पिया ही न हो.
उसके हाथ के नाखुनों को उखाड़ने की कोशिश की गई थी. उसके बदन पर जगह-जगह जलने के निशान थे. इसी के साथ उसके शरीर पर किसी नुकीली चीज से लिखा था 'मैं एक वेश्या हूं. और मुझे इस पर गर्व है.' पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. आखिर क्या था ये पूरा केस चलिए जानते हैं...
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 3 जनवरी 1949 को सिल्विया का जन्म इंडियाना के लेबनान में हुआ था. वह गरीब परिवार से वास्ता रखती थी. घर में माता पिता के के साथ-साथ सिल्विया के दो भाई और दो बहनें थीं. सिल्विया के पिता लेस्टर सिसिल लाइकिन्स एक फूड स्टॉल चलाते थे. अपनी गरीबी की वजह से लेस्टर का उसकी पत्नी एलिजाबेथ और बेट्टी फ्रांसेस से अक्सर झगड़ा होता रहता था. सिल्विया की बड़ी बहन की शादी हो गई थी. जबकि, दो भाई डैनी और बिन्नी अपने दादा-दादी के साथ रहते थे. वहीं, सिल्विया अपनी छोटी बहन जेनी और अपने माता-पिता के साथ ही रहती थीं.
जेनी सिल्विया से छोटी थी और शारीरिक रूप से अस्वस्थ थी. महज 15 साल की उम्र से ही सिल्विया ने अपनी जिम्मेदारी निभानी सीख ली थी. छोटी सी उम्र से ही उसने बेबी सिटिंग और कपड़े प्रेस करके पैसे कमाना शुरू कर दिया था. साल1965 में सिल्विया के माता-पिता ने आपसी झगड़ों की वजह से परेसान होकर एक दूसरे से अलग हो गए. माता-पिता के तलाक के बाद दोनों बहनें मां के साथ ही रहने लगीं. सिल्विया की मां की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. आर्थिक तंगी के साथ दो बेटियों की जिम्मेदारी. निभाने के लिए उसने पैसा कमाने के लिए चोरी करना शुरू कर दिया. एक बार वह चोरी करते हुए पकड़ी गई और उसे जेल हो गई.
लेस्टर ने फिर गर्ट्रूड से इस विषय पर बात की. कहा कि वह इसके बदले हर हफ्ते उसे 20 डॉलर दिया करेंगे. गर्ट्रूड भी इसके लिए राजी हो गई. पहले 2 हफ्ते तो सब कुछ ठीक चलता रहा. लेकिन तीसरे हफ्ते में जब लेस्टर पैसे देने में लेट हो गए तो गर्ट्रूड ने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया. उसने सिल्विया और जेनी की उस दिन इतनी पिटाई की कि उसे फिर इसका चस्का ही लग गया. उसे उन दोनों की पिटाई करने में काफी मजा आया. इसलिए उसने अब दोनों बहनों को टॉर्चर करना भी शुरू कर दिया. वह उनसे दिन भर काम करवाती और मारती-पीटती. दोनों को खाना भी कम देती. कुछ दिन बाद गर्ट्रूड जेनी को छोड़ बस सिल्विया को ही मारती-पीटती और उसे टार्चर करती थी।
इतना ही नहीं, मां की ऐसी हरकते देख अब पाउला भी सिल्विया को खूब मारती-पीटती. यहां तक कि पड़ोस के बच्चे भी मजे के लिए सिल्विया को मारने लगे थे. वे उसके चेहरे पर मुक्के से वार करते. तो कभी उसके हाथ-पैर बांध कर उसके कपड़े फाड़ देते. फिर उसके प्राइवेट पर भी हमला करते. वे उसे तब तक मारते जब तक उनका मन नहीं भर जाता. कई बार तो इतनी मारपीट कर देते थे कि सिल्विया बेहोश तक हो जाती. वहीं, गर्ट्रूड सिल्विया पर होने वाले इस अत्याचार के मजे लेती. वह उन बच्चों को कहती कि इसे और मारो. एक बार तो पाउला ने सिल्विया को इतनी जोर से मुक्का मारा कि उसका खुद का हाथ ही टूट गया. फिर जब उसे प्लास्टर लगा तो वह उस प्लास्टर से भी सिल्विया के पेट और चेहरे पर मुक्के मारती.
इन सब में सिल्विया की मां के अलावा इसमें कई छोटे के बच्चों के भी नाम भी शामिल थे. लेकिन उनकी उम्र कम होने की वजह से कोर्ट ने उन सभी को समझा-बुझाकर छोड़ दिया. कोर्ट में गर्ट्रूड ने सिल्विया की मौत का सारा दोषारोपण अपने बच्चों और पड़ोसियों के ऊपर डाल दिया. 19 मई 1966 के दिन कोर्ट ने गर्ट्रूड को सिल्विया की मौत का जिम्मेदार ठहराया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई. पाउला को भी दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. बाकी बचे गुनहगार नाबालिग थे इसलिए जॉन, रिचर्ड और कॉय हबर्ड को 2 साल से 21 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, तीनों को 2 साल जेल में बिताने के बाद आजाद कर दिया गया. गर्ट्रूड और पाउला ने 20 साल जेल में काटे, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को दिसंबर 1985 में जेल से पेरोल पर रिहा किया गया. इसके 5 साल बाद लंग कैंसर की बीमारी का सामना करते हुए गर्ट्रूड की मौत हो गई.
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