सूरत में धरती का सीना फाड़कर मां गंगा से निकलने वाले जल से ही स्नान कराया जाता है. जहां इस मंदिर के आस-पास का पानी समुद्र की निकटता की वजह से बेहद खारा है वहीं शिवलिंग से निकलने वाला जगा गंगाधर की पूजा करती हैं. सूरत में एक ऐसा शिवलिंग है जो खंडित है, समें अनगिनत छेद हैं और इन्हीं छिद्रों से गंगा की धारा बहती है. यह रूप बार-बार देखने को नहीं मिलता
. इस रूप का दर्शन मात्र भक्त की नैया पार लगा सकता है क्योंकि इस रूप में सृष्टि के संहारक शिव और जीवनदायिनी मां गंगा के एक साथ दर्शन होते हैं. गुजरात के सूरत जिले के ओलपाड में बने सिद्धनाथ मंदिर में स्थापित इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि ये स्वयंभू है और सैकड़ों सालों से खंडित अवस्था में है. कहते हैं सैकड़ों साल पहले सिद्धनाथ महादेव मंदिर को लुटेरों ने लूटने की कोशिश की. लुटेरों को लगा कि शिवलिंग के नीचे खजाना छिपा है. इसलिए उन्होंने शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से कई प्रहार किए, जिससे इसमें छेद हो गए.
कहा जाता है कि तब महादेव क्रोधित होकर इन छिद्रों से भंवरों के रुप में प्रकट हुए और उन्होंने लुटेरों को मार भगाया. लेकिन मंदिर की पवित्रता लौटाने के लिए महादेव को गंगा का आह्वान करना पड़ा. शिव की आज्ञा से शिवलिंग में प्रकट हुयी गुप्त गंगा आज भी इसमें अपनी लय में बहती हैं.
खंडित शिवलिंग की आराधना नहीं की जानी चाहिए, लेकिन यहां न केवल महादेव के इस चमत्कारी रूप की पूजा की जाती है बल्कि विधि-विधान का पालन भी किया जाता है. पूजा से पहले महादेव को शिवलिंग से निकलने वाले जल से ही स्नान कराया जाता है. जहां इस मंदिर के आस-पास का पानी समुद्र की निकटता की वजह से बेहद खारा है वहीं शिवलिंग से निकलने वाला जल नारियल के पानी की तरह मीठा है. यहां को जहां महादेव के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है वहीं गंगाजल उन्हें कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा आने वाले भक्तों दिलाता है.