आप सभी को बता दें कि धर्म ग्रंथों के अनुसार गंगा सप्तमी पर गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में इस बार गंगा सप्तमी का पर्व 30 अप्रैल, गुरुवार को है लेकिन लोग इस बार गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे. ऐसे में धर्म ग्रंथों के अनुसार जब कपिल मुनि के श्राप से सूर्यवंशी राजा सगर के 60 हजार पुत्र भस्म हो गए, तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए.
कहा जाता है गंगा के स्पर्श से ही सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हो सका. जी दरअसल गंगा को मोक्षदायिनी कहा जाता है और विभिन्न अवसरों पर गंगा तट पर मेले और गंगा स्नान के आयोजन होते हैं. आप जानते ही होंगे इनमें कुंभ पर्व, गंगा दशहरा, व्यास पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा, मकर संक्रांति व गंगा सप्तमी आदि प्रमुख माने जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं गंगा सप्तमी में किस विधि से करें स्नान.
इस विधि से करें स्नान - गंगा सप्तमी पर स्नान करते समय पहले रुद्राक्ष सिर पर रखें और इसके बाद जल सबसे पहले सिर पर डालें और यह मंत्र बोलें- रुद्राक्ष मस्तकै धृत्वा शिर: स्नानं करोति य:. गंगा स्नान फलं तस्य जायते नात्र संशय:.. इसी के साथ ही आप चाहे तो 'ॐ नम: शिवाय' यह मंत्र भी मन ही मन स्मरण कर सकते हैं. जी दरअसल इस मंत्र में रुद्राक्ष को सिर पर रखकर स्नान का फल गंगा स्नान के समान बताया गया है. आप सभी को बता दें कि यह उपाय घर या किसी भी तीर्थ स्नान के समय भी अपनाया जा सकता है. जी दरअसल स्नान का यह तरीका तन के साथ मन को भी पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है.
29 अप्रैल को है गंगा सप्तमी, जानिए मध्याम मुहूर्त
लॉकडाउन के बीच साफ़ हुई गंगा नदी का वीडियो शेयर कर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही यह एक्ट्रेस