आज इतनी बार जरूर करें गंगा जी के पावन मंत्र और स्तुति का जाप

आज इतनी बार जरूर करें गंगा जी के पावन मंत्र और स्तुति का जाप
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हिन्दू धर्म में कई स्तुति होती हैं जो करने से मन शांत हो जाता है और हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ऐसे में पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक गंगा नदी को पवित्र नदी कहते हैं और ऐसा कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में एक बार गंगा के पानी में खड़ा होकर 10 बार इस स्तुति को पढ़ता है, उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और वह सफल ही सफल होता जाता है. इसी के साथ उसकी आजीवन निरोगी काया रहती हैं. अब ऐसे में आज हम आपके लिए मां गंगा के कुछ खास मंत्र तथा स्तुति लेकर आए हैं जिन्हे आप सभी को जरूर पढ़ना चाहिए. आइए जानते हैं.

गंगाजी का सबसे पवित्र पावन मंत्र - 

'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा' 
आनंदरूपिणी आनंद देने वाली गंगा के लिए बारंबार नमस्कार है.
 विष्णुरूपिणी के लिए और तुझ ब्रह्म मूर्ति के लिए बारंबार नमस्कार है.. 1..


तुझ रुद्ररूपिणी के लिए और शांकरी के लिए बारंबार नमस्कार है,
भेषज मूर्ति सब देव स्वरूपिणी तेरे लिए नमस्कार है.. 2..

सब व्याधियों की सब श्रेष्ठ वैद्या तेरे लिए नमस्कार,
स्थावर जंगमों के विषयों को हरण करने वाली आपको नमस्कार.. 3..

संसाररूपी विष के नाश करने वाली एवं संतप्तों को जिलाने वाली तुझ गंगा के लिए नमस्कार,

तीनों तापों को मिटाने वाली प्राणेशी तुझ गंगा को नमस्कार.. 4..

 

पावन मूर्ति तुझ गंगा के लिए नमस्कार,
सबकी संशुद्धि करने वाली पापों को बैरी के समान नष्ट करने वाली तुझ….. 5..
भुक्ति, मुक्ति, भद्र, भोग और उपभोगों को देने वाली भोगवती तुझ गंगा को.. 6..

तुझ मंदाकिनी के लिए दिव्य आशीष देने वाली के लिए बारंबार नमस्कार,
तीनों लोकों की भूषण स्वरूपा तेरे लिए एवं तीन पंथों से जाने वाली के लिए बार-बार नमस्कार.
जगत् की धात्री के लिए नमस्कार.. 7..

तीन शुक्ल संस्थावाली को और क्षमावती को बारंबार नमस्कार
तीन अग्नि की संस्थावाली तेजोवती के लिए नमस्कार है,
लिंग धारणी नंदा के लिए नमस्कार तथा अमृत की धारारूपी आत्मा वाली के लिए नमस्कार
कोई 'नारायण्यै नमोनम:' नारायणी के लिए नमस्कार है ऐसा पाठ करते हैं.. 8..


संसार में आप मुख्य हैं आपके लिए नमस्कार, रेवती रूप आपके लिए नमस्कार,
तुझ बृहती के लिए नमस्कार एवं तुझ लोकधात्री के लिए नम: है.. 9..
संसार की मित्ररूपा तेरे लिए नमस्कार, तुझ नंदिनी के लिए नमस्कार,
पृथ्वी शिवामृता और सुवृषा के लिए नमस्कार.. 10..

पर और अपर शतों से आढया तुझ तारा को बार-बार नमस्कार है.
फंदों के जालों को काटने वाली अभित्रा तुझको नमस्कार है.. 11..

शांता, वरिष्ठा और वरदा जो आप हैं आपके लिए नमस्कार,

उत्रा, सुखजग्धी और संजीवनी आपके लिए नमस्कार..12..

ब्रहिष्ठा, ब्रह्मदा और दुरितों को जानने वाली तुझको बार-बार नमस्कार..13..

सब आपत्तियों को नाश करने वाली तुझ मंगला को नमस्कार..14..

सबकी आर्तिको हरने वाली तुझ नारायणी देवी के लिए नमस्कार है.
सबसे निर्लेप रहने वाली दुर्गों को मिटाने वाली तुझ दक्षा के लिए नमस्कार है..15..

पर और अपर से भी जो पर है उस निर्वाण के लिए देने वाली गंगा के लिए प्रणाम है.

हे गंगे! आप मेरे आगे रहें आप ही मेरे पीछे रहें..16..

मेरे अगल-बगल हे गंगे! तू ही रह हे गंगे! मेरी तेरे में ही स्थिति हो.

हे गंगे! तू आदि मध्य और अंत सब में है. सर्वगत है तू ही आनंददायिनी है..17..

तू ही मूल प्रकृति है, तू ही पर पुरुष है, हे गंगे ! तू परमात्मा शिवरूप है, हे शिवे! तेरे लिए नमस्कार है..18..

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