नई दिल्ली : जीवनदायनी गंगा, मोक्षदायक गंगा, जैसे विशेषणों से भारत की पहचान बनी गंगा को अपनों ने ही प्रदूषित कर दिया है.सच तो यह है कि लोगों के नासमझी भरे कार्यों की कीमत चुका रही है ये नदी. हालाँकि गंगा सफाई के नाम पर हजारों करोड़ों खर्च हो चुके हैं. लेकिन नतीजा सिफर रहा. लेकिन एनडीए सरकार में नमामि गंगे मिशन के द्वारा गंगा के कायाकल्प की तैयारी की जा रही है.
बता दें कि केंद्र सरकार गंगा को प्रदूषित करने वालों को दण्डित करने का प्रारूप तैयार कर रही है. प्रस्तावित विधेयक में गंगा को मैली करने पर सात साल का कैद और 100 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रस्ताव है. बिल का मसौदा तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति के चार सदस्यों में से एक वकील अरुण गुप्ता के अनुसार इस बिल में ऐसे कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं, ताकि लोग कानून तोड़ने की हिम्मत न कर सकें. यही नहीं सेवानिवृत्त जज गिरधर मालवीय का सुझाव है कि गंगा से जुड़ी सहायक नदियों के एक किलोमीटर के दायरे को जल संरक्षित जोन घोषित किया जाए.
उल्लेखनीय है कि स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या ‘नमामि गंगे’ है. यह मूलतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वप्न परियोजना है. प्रधानमंत्री बनने से पहले ही मोदी ने गंगा की सफाई का आह्वान किया था। उन्होंने वादा किया था कि वह यदि सत्ता में आए तो वो जल्द से जल्द यह परियोजना शुरु करेंगें.अपने वादे के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ महीनों में यह परियोजना शुरु कर दी.
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