गैंगस्टर मुख़्तार अंसारी को जहर देकर मारा गया ? सामने आई विसरा रिपोर्ट

गैंगस्टर मुख़्तार अंसारी को जहर देकर मारा गया ? सामने आई विसरा रिपोर्ट
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लखनऊ: गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की मौत की जांच में एक अहम घटनाक्रम सामने आया है. अंसारी के विसरा की जांच में जहर का कोई निशान नहीं मिला। विसरा रिपोर्ट न्यायिक टीम को सौंप दी गई है और अब जांच टीम एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपेगी. अंसारी के परिवार के सदस्यों ने और विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने जेल में जहर देने का आरोप लगाते हुए गड़बड़ी का आरोप लगाया था। इसके बाद इस संबंध में प्रशासनिक और न्यायिक जांच शुरू की गई।

इससे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंसारी की मौत का कारण दिल का दौरा पड़ने की पुष्टि हुई थी। हालांकि जहर देने के आरोप के चलते उनका विसरा आगे की जांच के लिए लखनऊ भेजा गया था. बांदा जेल में बंद अंसारी 28 मार्च को बीमार पड़ गए थे और बाद में उन्हें बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। मौत का प्रारंभिक कारण दिल का दौरा बताए जाने के बावजूद, उनके परिवार ने बेईमानी का आरोप लगाया। अंसारी के शव को 29 मार्च को उनके पैतृक घर गाज़ीपुर ले जाया गया और 30 मार्च को कालीबाग कब्रिस्तान में दफनाया गया।

मुख्तार अंसारी पर 60 से अधिक आपराधिक मामले थे, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी के साथ-साथ गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट और एनएसए जैसे विभिन्न अधिनियम शामिल थे। इनमें से 8 मामलों में उन्हें दोषी ठहराया गया था। कई मामले 20-20 साल पुराने थे, लेकिन निर्णय पर नहीं पहुँच पाए थे। मुख़्तार अपनी राजनितिक पकड़ के कारण जेल से ही अपना काला साम्राज्य चलाता था, यहाँ तक कि उसने ताज़ी मछली खाने के लिए जेल में तालाब तक खुदवा दिया था। यूपी में जब सत्ता परिवर्तन हुआ, तब जाकर मुख़्तार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई, हालाँकि उस दौरान भी कांग्रेस ने उसे बचाने की भरपूर कोशिश की। जबकि, मुख़्तार ने खुद कांग्रेस के ही नेता अवधेश राय का क़त्ल करवाया था, इस मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़कर पंजाब की कांग्रेस सरकार से मुख़्तार को अपने कब्जे में लिया था। 

कैसे होती है विसरा जांच ?

पोस्टमार्टम के दौरान मृतक के शरीर से आंत, हृदय, किडनी, लीवर आदि जैसे आंत के हिस्सों के नमूने लेकर विसरा जांच की जाती है। यदि मौत संदिग्ध परिस्थितियों में होती है और मौत के कारण को लेकर संदेह हो तो यह जांच की जाती है। रासायनिक परीक्षक मृत्यु का कारण निर्धारित करने के लिए विसरा का विश्लेषण करते हैं, और विसरा रिपोर्ट अदालत में सबूत के रूप में काम करती है।

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