सनातन धर्म में गरुड़ पुराण एक महापुराण के रूप में जाना जाता है जो मनुष्य को मृत्यु के पश्चात् के हालातों का बोध कराता है तथा मनुष्यों को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मृत्यु के पश्चात् कैसे मनुष्य के कर्मों का हिसाब होता है तथा कैसे कर्मो के आधार पर ही उसे स्वर्ग के सुख तथा नर्क के दुख भोगने को मिलते हैं। कब आत्मा को दूसरा शरीर मिलता है तथा किस पाप को करने वाला मनुष्य किस योनि में जाता है, इन सभी बातों का विवरण भी गरुड़ पुराण में देखने को मिलता है। कुछ कर्मों को गरुड़ पुराण में इतना बड़ा पाप माना गया है, जिसे करने वाले मनुष्य को नर्क की प्रताड़ना से कोई नहीं बचा सकता। यहां जानिए उन कर्मों के बारे में...
1- भ्रूण, नवजात तथा गर्भवती के क़त्ल को घोर पाप माना गया है। ऐसे मनुष्य की मृत्यु के पश्चात् बहुत दुगर्ति होती है। इसलिए भूलकर भी इस प्रकार का पाप न करें।
2- कभी किसी स्त्री का अनादर न करें, उसकी अस्मिता से न खेलें। महाभारत काल में कौरवों ने भी यही त्रुटि की थी तथा अपना विनाश तय कर लिया था। ऐसे व्यक्तियों को धरती पर तो अपयश सहना ही पड़ता है, साथ-साथ मृत्यु के पश्चात् उन्हें नर्क की प्रताड़ना से कोई नहीं बचा सकता।
3- भरोसा बेहद बड़ी चीज होती है तथा ये सारा जगत भरोसा की नींव पर ही टिका है। इसलिए कभी किसी का भरोसा न तोड़ें तथा न ही किसी को धोखा दें।
4- कमजोर तथा निर्धन का शोषण करने वालों और उनका मजाक उड़ाने वालों को भी नर्क की यातननाएं भोगनी पड़ती हैं। इसलिए किसी के हालात का मजाक न उड़ाएं, बल्कि उनकी सहायता करें।
5- मेहमान का अपमान करना, उसे घर से भूखा ही भेज देना भी पाप की श्रेणी में आता है। इसके अतिरिक्त अपनी खुशी के लिए दूसरों के सुख को छीन लेने वाला भी दोषी कहलाता है।
6- धर्म ग्रंथों को छोटा समझना, पूजा तीर्थ तथा दैवीय स्थानों का मजाक उड़ाना या उन्हें नीची दृष्टि से देखना भी पाप होता है। ऐसा करने वालों को भी नर्क में दंड भुगतना पड़ता है।
7- ईश्वर की सेवा करने वाले व्यक्तियों को मांस का सेवन तथा मांस की बिक्री आदि नहीं करनी चाहिए। जानवरों की बलि देना तथा प्रकृति को हानि पहुंचाना भी पाप है। ऐसा नहीं करना चाहिए।
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