आपने देखा होगा कि बहुत से योगासनों के नाम जानवरों के नाम पर होते हैं क्योंकि इन्हें करते वक्त हमारा शरीर उन जानवरों की आकृति के जैसा हो जाता है. ऐसा ही एक आसन है गरुड़ासन जिसे करते वक्त हमारे हाथों की अवस्था गरुड़ की चौंच जैसी हो जाती है इसलिए ही इसे गरुड़ासन के नाम से जाना जाता है. इस आसन के अभ्यास से अंडकोष और मूत्र मार्ग से सम्बन्धित बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता है.
शरीर के गुदा मार्ग और मूत्र मार्ग से सम्बन्धित कई परेशानियों को ठीक करने में यह आसन बहुत ज्यादा लाभकारी है। इस आसन से जाँघों और हाथों को भी मजबूती मिलती है. अगर आपकी हड्डी में कोई चोट है है या नसों से सम्बन्धित कोई बिमारी है अथवा गठिया जैसा रोग है तो आपको यह आसन नहीं करने की सलाह दी जाती है. अब इस आसन को करने के तरीके के बारे में जानेंगे। सबसे पहले आप सीधे खड़े हों।
दाएं पांव को बाएं पांव के ऊपर से दूसरी ओर ले जाएं। अगर आप मोटापे से ग्रसित है तो शुरुआत में आपको यह आसन करने में थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। दूसरी तरफ पतली कमर और पतली जांघ वाले इसको आसानी से कर सकते हैं। बाहों को रस्सी की तरह एक दूसरे में गूंथ दें। आपस में गुंथे हुए हाथों को गरुड़ की चोंच के समान छाती के आगे रखें। घुटने को मोड़कर संतुलन बनाएं। बाएं पांव को दाएं पांव के ऊपर से ले जाकर इसे दूसरी ओर भी करें। ऐसा ही आप दाएं पैर से भी करें। अभ्यास करने से आप इसका समय बढ़ा सकते हैं.
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