जालौर/ सिरोही : गौ सेवा के नाम पर देश में हिंसा करने वाले कथित गौ रक्षकों को पता नहीं इस खबर से कितनी संवेदना होगी कि राजस्थान के जालौर में हुई भीषण बारिश से 615 गायों की मौत होने का मामला सामने आया है.200 मरणासन्न गायों को बचाने की कोशिश की जा रही है. इस मामले में राजस्थान की भाजपा सरकार की व्यवस्थाएं भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई है.गोवंश के लिए दवाइयों और पौष्टिक आहार की भारी कमी दिख रही है.
बता दें कि पश्चिम राजस्थान में जालौर में 25 जुलाई को आसमान से कहर बरसी . इस बरसात ने विश्व की सबसे बड़े माने जाने वाले गोधाम पथमेड़ा और उनकी शाखाओं में करीब पचास हजार गोवंश एक साथ रहता है. गायों के लिए मौत का सैलाब बनकर आई.
पांचला बांध टूटने से गोधाम पथमेड़ा में तेज वेग से पानी का बहाव पहुंचा. पथमेड़ा गोशाला और इससे जुड़ी शाखाओं में करीब पचास हजार गोवंश एक साथ रहता है. 25 जुलाई को ऐसी तूफानी बरसात हुई कि पूरा क्षेत्र पानी में डूब गया. गायें इधर-उधर भागने लगीं. सैंकड़ों गायें डूब भी गईं. बूढ़ी और बीमार गायों की ज्यादा आफत हुई. जगह-जगह पानी में गायों के शव बहते देखे जा सकते हैं. सरकार गोवंश को त्वरित राहत पहुंचाने में नाकाम रही.
उल्लेखनीय है कि गोधाम में 615 गायों की मौत हुई है . तीन दिन बीतने के बाद भी क्षेत्र में पानी नहीं उतरा है. कई जगह गायें अब भी फंसी हुई है. ये गाय बीमार हैं या उठने में असमर्थ वे एक ही जगह पर बैठी हैं. ऐसी 200 गायों को बचाने की कोशिशें की जा रही है. क्षेत्र में तीन दिन बाद पहुंचे प्रशासन के लोग मरी हुई गायों को गड्ढे खोद कर दबा रहे हैं, ताकि संक्रमण न हो.
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