यदि गायत्री मंत्र का करते है जाप तो मिलेगा यह महावरदान

यदि गायत्री मंत्र का करते है जाप तो मिलेगा यह महावरदान
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गायत्री मंत्र को वेदों में बड़ा ही चमत्कारिक और फायदेमंद बताया गया है. इसके साथ ही गायत्री मंत्र के विश्वामित्र ऋषि हैं तथा देवता सविता है. गायत्री मंत्र का नियमित रूप से सात बार जाप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियां बिल्कुल नहीं आती है. वहीं  गायत्री मंत्र का अर्थ (उस प्राणस्वरूप दुखनाशक सुखस्वरूप  श्रेष्ठ तेजस्वी पापनाशक देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें). गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का तेज बढ़ता है और सब मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है.

नकारात्मक शक्तियों का नाश-

- चमत्कारिक गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं यह  24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं
- इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है
- गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय होने से दो घंटे पहले से लेकर सूर्योदय तथा सूर्यास्त से एक घंटे पहले से शुरू करके एक घण्टे बाद तक किया जा सकता है
-कोई भी व्यक्ति मानस कि जाप कभी भी कर सकता हैं लेकिन रात्रि में इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए
- सुबह के समय कुशा के आसन पर बैठे पूर्वदिशा  तरफ गाय के घी का दिया जलाएं और रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का जाप करें
-जाप से पहले तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर अवश्य रखें जाप संपूर्ण होने पर घर में इसका छिड़काव करें

पूजा में बरतें सावधानियां-

-  गायत्री मंत्र का जाप हमेशा सुबह दोपहर या शाम के समय ही करें रात में  जाप करने से फायदा कम होगा
- गायत्री मंत्र का जाप हमेशा ढीले और साफ वस्त्र पहनकर ही करें
- गायत्री मंत्र जाप अनुष्ठान काल में घर में प्याज लहसुन मांस मदिरा आदि तामसिक चीजों का प्रयोग ना करें
- गायत्री मंत्र जाप हमेशा एक समय और एक आसन तथा एक निश्चित दिशा में ही करें

छात्रों को मिलेगा महावरदान-

- गायत्री मंत्र छात्रों के लिए बहुत ही लाभकारी है
- नियमित रूप से 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धी प्रखर और किसी भी विषय को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है.
- गायत्री मंत्र का लाल या कुशा के आसन पर बैठकर  रुद्राक्ष की माला से तीन माला जाप करें
- ऐसा लगातार एक समय निश्चित करके ही करें जाप करने से पूर्व तांबे के लोटे में गंगा जल भर कर उसमें एक तुलसी पत्र डालें
- जाप के बाद यह जल अपने शयनकक्ष में छिड़कें तुलसी पत्र का सेवन करें

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