आप सभी जानते ही हैं कि समस्त धर्म ग्रंथों में गायत्री मन्त्र की महिमा का वर्णन किया जा चुका है और सभी ऋषि-मुनि मुक्त कंठ से गायत्री का गुण-गान करते हैं। ऐसे में गायत्री मंत्र तीनों देव, बृह्मा, विष्णु और महेश का सार है और कहा जाता है गीता में भगवान ने स्वयं कहा है 'गायत्री छन्दसामहम्' अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं। गायत्री मंत्र छात्रों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं गायत्री मंत्र का जाप किस तरह करे, और क्या हैं इस मंत्र के लाभ.
गायत्री मंत्र का जाप के लाभ-
* कहा जाता है गायत्री मंत्र से सभी तरह की मनोकामएं पूर्ण होतीं हैं.
* कहते हैं गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय होने से दो घंटे पूर्व लेकर सूर्योदय तथा सूर्यास्त से एक घंटे पहले से प्रारंभ करके एक घण्टे बाद तक करना चाहिए.
* कहा जाता है रात्रि में इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
* कहते हैं हर दिन सुबह कुशा के आसन पर बैठकर पूर्वदिशा की तरफ गाय के घी का दीपक जलाकर रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
* कहा जाता है जाप करने से पहले तांबे के लोटे में गंगाजल जरूर रखना चाहिए और जाप पूर्ण होने पर पूरे घर में छिड़क दें.
* कहते हैं इस मंत्र का जाप सदैव सुबह दोपहर या शाम के वक्त ही करें रात में जाप करने से फायदा जल्दी नहीं हो सकता है और इस मंत्र का जाप हमेशा ढीले और साफ सुथरे कपडे पहनकर करें.
* कहते हैं इस मंत्र का जाप अनुष्ठान काल में घर में प्याज लहसुन मांस मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं *करना चाहिए और इस मंत्र का जाप हमेशा एक वक्त और एक आसन तथा एक निश्चित दिशा में ही करना चाहिए.
* कहते हैं नियमित रूप से 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धी को बल मिलता साथ ही याद रखने की क्षमता भी बढ़ती है और गायत्री मंत्र का जाप लाल या कुशा के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से तीन माला जाप कर करना चाहिए.
* कहा जाता है लगातार एक समय निश्चित करके ही जाप करना जरुरी है.
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