नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तरप्रदेश में कृषि ऋण की माफी की बात कही थी। सरकार अस्तित्व में आते ही ऐसा कर दिया गया और गन्ना किसानों को राहत मिली। मगर अब विश्लेषकों द्वारा कहा जा रहा है कि भारत में जिस तरह से कर्ज माफी की बात की जा रही है उससे बढ़ती अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा। इस मामले में बैंक आॅफ अमेरिका मेरिल लिंच के विश्लेषक ने कहा कि वर्ष 2019 के चुनाव से पहले किसानों के लोन की माफी राजकोषीय व ब्याज दर का जोखिम बढ़ाने वाला है।
अध्ययन में कहा गया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की लोन माफी 5 अरब डाॅलर या प्रदेश के जीडीपी के 0.4 प्रतिशत के समान है। गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के ही साथ अब महाराष्ट्र, हरियाणा और तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में भी इस तरह की मांग की जा रही है।
यदि इन मांगों पर अमल कर लिया गया तो फिर राजकीय कोष पर अधिक भार पड़ सकता है और जीडीपी पर असर हो सकता है। उत्तरप्रदेश में करीब 2.15 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं। इन किसानों के करीब 1 लाख रूपए के कृषि लोन माफ कर दिए गए हैं। मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया और कहा कि समूचे कृषि लोन को माफ कर दिया जाए। राज्य के राजकोष पर लगभग 4 हजार करोड़ रूपए का आर्थिक भार आने की बात कही जा रही है।
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