नई दिल्लीः देश में विकास दर लगातार रसातल में जा रहा है। सरकार द्वारा उठाए गए फौरी कदमों से फिलहाल कोई राहत नहीं दिख रही है। तमाम आर्थिक संस्थान देश की विकास दर के अनुमान को कम कर रहे हैं। अभी हालिया जाड़ी आकंड़ों के अनुसार, पहली तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5 फीसद के स्तर पर आ गई है। यह 6 साल की सबसे सुस्त ग्रोथ रेट है। वित्त वर्ष 2019 की अंतिम तिमाही में यह 5.8 फीसद थी।
सेंट्रल स्टैटिसटिक्स ऑफिस ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2019-20 की अप्रैल-जून की तिमाही के लिए देश की आर्थिक वृद्धि के यह आंकड़े जारी किए। खपत में आई भारी गिरावट की वजह से GDP के आंकड़ों में इतनी भारी गिरावट देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसद रहेगी। RBI के अनुमान के अनुसार, पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.8 से 6.6 फीसद के दायरे में रहनी चाहिए।
दूसरी तिमाही में इसके 7.3-7.5 फीसदी रहने का अनुमान किया गया था। GDP ग्रोथ रेट घटने से सरकार से राहत पैकेज की मांग की संभावना बढ़ सकती है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहा सुस्ती का साया अभी दूर नहीं हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ जून तिमाही में घटकर 0.6 फीसद के स्तर पर आ गई जो मार्च तिमाही में 3.1 फीसद थी। यह अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र की संकटग्रस्त स्थिति की ओर संकेत करता है। सर्विस सेक्टर्स की बात करें तो सिर्फ ट्रेड, होटल्स और कम्युनिकेशन सेगमेंट में ही सिर्फ जून तिमाही में तेज ग्रोथ दर्ज की गई जो 7.1 फीसद रही। मार्च तिमाही में इसकी ग्रोथ 6 फीसद थी।
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