हर साल मनाया जाने वाला गीता महोत्सव इस साल 14 दिसंबर को है। इस महोत्सव को गीता जयंती के नाम से जाना जाता है। यह हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। आप सभी को बता दें कि इसी दिन मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है। वहीं अगर हम इतिहासकारों की मानें तो साल 2021 गीता उपदेश का 5159 वां वर्ष है। जी दरअसल सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में परम मित्र अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। इसी के चलते गीता जयंती का विशेष महत्व है। आप सभी को बता दें कि इस उपलक्ष्य पर देश के कई जगहों पर गीता मेला का आयोजन किया जाता है। खासकर कुरुक्षेत्र में विश्व स्तरीय मेले का आयोजन किया जाता है। मिली जानकारी के तहत इस साल 2 दिसंबर से 19 दिसंबर तक गीता महोत्सव चलने वाला है। वहीं इसके अंतर्गत गीता उपदेश का नाट्य रूपांतरण, गीता मैराथन, प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
पूजा विधि- गीता जयंती के दिन ब्रह्म बेला में उठकर भगवान श्रीविष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करना चाहिए। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर ॐ गंगे हर हर गंगे का मंत्रोउच्चारण कर आमचन करना चाहिए। अब स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा पीले फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा आदि चीजों से करना चाहिए। ध्यान रहे इस दिन गीता पाठ जरूर करें। वहीं अंत में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें।
तिथि- पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 13 दिसंबर दिन सोमवार को रात 09 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है। अगले दिन 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रात 11 बजकर 35 मिनट तक एकादशी तिथि (Geeta Jayanti 2021) मान्य होगी। इसी के चलते गीता जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी।
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