जयपुर: राजस्थान की राजनीति में चर्चित एकल पट्टा प्रकरण ने फिर से एक नया मोड़ ले लिया है। बीजेपी की भजनलाल सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि अशोक गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री शांति धारीवाल पर मामला बनता है। इसके साथ ही तीन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जरूरत बताई गई है।
मामला उस समय का है जब अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल के बाद वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी सरकार सत्ता में आई थी। 3 दिसंबर 2014 को बीजेपी सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में शांति धारीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करवाया। आरोप था कि जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने जून 2011 में गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग को एकल पट्टा जारी करने में अनियमितताएं की थीं।
भ्रष्टाचार के आरोपों में उस समय के स्वायत्त शासन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, और जोन उपायुक्त ओमकार बाल सैनी को भी आरोपी बनाया गया था। इन अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन पूर्व मंत्री शांति धारीवाल की गिरफ्तारी नहीं हुई। मामला बढ़ने पर एसीबी ने कांग्रेस नेता धारीवाल से पूछताछ भी की।
जब अशोक गहलोत की सरकार फिर से सत्ता में लौटी, तो एंटी करप्शन ब्यूरो ने तीन बार मामले की जांच करके शांति धारीवाल और अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। हालांकि, एसीबी कोर्ट ने इन क्लोजर रिपोर्ट्स को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद आरोपी हाईकोर्ट गए, जहां हाईकोर्ट ने एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट को सही ठहराया।
इसके बाद अब राजस्थान की भजनलाल सरकार ने अपना रुख बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा दाखिल किया। सरकार ने कहा कि एसीबी के अधिकारियों और तत्कालीन सरकारी वकीलों ने मामले की जांच में कुछ तथ्यों को नजरअंदाज किया। इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों ने भी लापरवाही करते हुए धारीवाल और अन्य को क्लीन चिट दे दी थी, जबकि इस मामले में कार्यवाही बनती है।
यह पूरा मामला 2011 से शुरू हुआ था, जब जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग को एकल पट्टा जारी किया था। इसके खिलाफ 2013 में एंटी करप्शन ब्यूरो में राम शरण सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि भारी भ्रष्टाचार करके यह अवैध कार्य किया गया है। मामला बढ़ने पर 25 मई 2013 को उस समय की गहलोत सरकार ने विवादित पट्टे को रद्द कर दिया था।
इस प्रकरण में कई बार जांच हुई और आरोपियों की स्थिति भी बदलती रही, लेकिन वर्तमान में भजनलाल सरकार का यू-टर्न मामले को फिर से राजनीतिक विवाद का केंद्र बना रहा है।
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