नई दिल्लीः देश में चल रही मंदी से इन दिनों उद्योग-धंधे हलकान हुए पड़े हैं। इसका असर नौकरियों पर पड़ा है। आए दिन किसी न किसी सेक्टर से छंटनी की खबरें आती रहती हैं। इस कड़ी में रत्न एवं आभूषण उद्योग भी जूड़ गया है। मंदी से गुजर रहे इस उद्योग में काम कर रहे लोगों के रोजगार पर संकट आ खड़ा हुआ है। लोग आभूषणों की खरीदारी कम रहे हैं जिसका सीधा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ता दिखाई देगा. इससे कुशल कारीगरों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो सकता है।
ज्वेलरी सेक्टर को मंदी के दौर में फंसने से बचाने के लिए काउंसिल ने मांग की है कि आयातित सोने पर सीमा शुल्क की दरें कम की जाएं और आभूषणों पर जीएसटी की दर घटाई जाए। आम बजट 2019-20 में इम्पोर्टेड सोने पर सीमा शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया था. वहीं आभूषण पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर 3 फीसदी तय की गई है।
पूर्ववर्ती मूल्य वर्धित कर (वैट) प्रणाली में यह एक प्रतिशत थी। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के वाइस चेयरमैन शंकर सेन ने कहा कि मांग कम होने की वजह से आभूषण उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है. इससे हजारों कुशल कारीगरों का रोजगार छिनने का अंदेशा पैदा हो गया है. GJC ने मांग की है कि इस सेक्टर की 55 लाख नौकरियों को बचाने के लिए सरकार गोल्ड पॉलिसी में बड़े बदलाव करे. सेन ने कहा कि सरकार को पैन कार्ड पर खरीददारी की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर देनी चाहिए।
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