नई दिल्ली: सवर्णों को आरक्षण देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में संविधान संशोधन बिल प्रस्तुत कर दिया है. इस पर शाम 5 बजे से बहस शुरू हो चुकी है. इस पर बहस में मोदी सरकार को कई छोटे और महत्वपूर्ण दलों ने समर्थन दिया है. इनमें एनसीपी, सपा, बसपा जैसे राजनितिक दल शामिल हैं.
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बहस शुरू करते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत ने कहा है कि, निजी शिक्षण संस्थानों में भी ये आरक्षण लागू किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने इस पर सभी दलों से समर्थन देने की मांग की. उन्होंने कहा कि, जो आरक्षण अभी लागू है, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. इसके बाद कांग्रेस के नेता केवी थॉमस बहस में शामिल हुए. उन्होंने कहा है कि, हम इस बिल का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले इस बिल को जेपीसी में भेजा जाए. कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि, सवर्णों को आरक्षण देने के जुमले को सभी राजनितिक दलों ने अपने अपने घोषणा पत्र में लिखा था, लेकिन अब मोदी सरकार उन्हें आर्थिक आधार पर आरक्षण दे रही है.
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अरुण जेटली ने कहा, ये सही है कि इससे पहले जो भी प्रयास किए गए वे सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं ठहर पाए. सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत की सीमा निर्धारित कर दी. जेटली ने कहा कि ये सीमा 16 ए के संबंध में थी. अब इसमें संशोधन किया जाएगा तो ये बिल सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं गिरेगा. आपको बता दें कि पीएम मोदी इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि इस आरक्षण नियम में मुस्लिमों और इसाईओं को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि यह आर्थिक आधार पर होगा.
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