नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण के रूप में बड़ा तोहफा दिया था. सरकार ने इस व्यवस्था को लागू करने के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में सीटों की वृद्धि का फैसला लिया गया. अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि आम बजट में सरकार गरीब सवर्ण छात्रों के लिए अलग से छात्रवृत्ति योजना या फंड आवंटन पर पहल कर सकती है.
उल्लेखनीय है कि 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. मोदी सरकार 2.0 का यह पहला आम बजट होगा. इससे पहले फरवरी में सवर्ण आरक्षण के तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें बढ़ाने का आदेश दिया था. इस फैसले के तहत आने वाले दिनों में भारतीय प्रद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), राष्ट्रीय प्रद्यौगिकी संस्थान (एनआईटी) सहित अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग 3 लाख सीटों की वृद्धि की उम्मीद है.
वर्ष 2021 तक आईआईटी में 5 हजार नई सीटों के सृजन की बात कही गई तो वहीं, आईआईएम में भी लगभग 800 सीटों की वृद्धि होने का अनुमान लगाया जा रहा है. कॉलेजों में सवर्णों को आरक्षण लागू होने के पहले सभी संस्थाओं में लगभग 9 लाख से अधिक विद्यार्थियों के दाखिले की व्यवस्था है. इसमें आईआईटी, आईआईएम, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, केंद्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, सरकारी कॉलेज, डीम्ड यूनिवर्सिटी और अन्य फंड प्राप्त करने वाले कॉलेजों की सीटें शामिल हैं.
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