बीते बुधवार 6 दिसंबर को आए भूकंप के बाद रूद्रप्रयाग जिले के लोगों में डर व्याप्त है. भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील रुद्रप्रयाग जिले में बार-बार महसूस किए जा रहे झटकों के चलते बड़े हादसे की आशंका ने वैज्ञानिकों की चिंता भी बढ़ा दी है. इसी के तहत भू-वैज्ञानिकों का चार सदस्यीय दल तोलियूं गांव पहुंचा. छह दिसंबर को आए भूकंप का केंद्र इसी गांव में था. वैज्ञानिकों ने आसपास के इलाके का जायजा लिया. साथ ही उन घरों का मुआयना भी किया, जिनमें भूकंप के कारण दरारें आई थीं.
रविवार को भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग का चार सदस्यीय दल निदेशक भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में तोलियूं गांव पहुंचा. निदेशक ने बताया कि भूकंप का केंद्र जमीन से 30 किलोमीटर की गहराई में था, यदि इतनी ही तीव्रता का भूकंप 10 किमी की गहराई में आता तो यह देहरादून समेत कई जिलों के लिए घातक साबित हो सकता था. उन्होंने बताया कि कुछ घरों में मामूली दरारें अवश्य पड़ीं, लेकिन ज़मीन में कोई दरार नहीं है और पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर भी कोई असर नजर नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि अध्ययन की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी.
इसी साल रुद्रप्रयाग में अब तक तीन बार भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर पांच से अधिक थी. इस बुधवार को आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर 5.5 तीव्रता नापी गई थी. जिसके झटके देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों में भी महसूस किए गए थे.
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