नई दिल्ली: रविवार को बीजेपी ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनका संबंध एक ऐसे संगठन से है, जिसे अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन द्वारा वित्तीय सहायता दी जाती है। बीजेपी का कहना है कि यह संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने के विचार का समर्थन करता है।
बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस संबंध में आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को दर्शाता है। साथ ही, सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे देश की संप्रभुता के खिलाफ एक साजिश बताया। इन आरोपों के बीच, अमेरिकी प्रशासन ने बीजेपी के इन दावों को सिरे से खारिज किया कि अमेरिका भारत को अस्थिर करने के प्रयासों का समर्थन कर रहा है।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि वह संसद में इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी से सवाल पूछेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मीडिया पोर्टल *ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP)* और जॉर्ज सोरोस ने मिलकर विपक्ष के साथ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रची है।
बीजेपी का कहना है कि सोनिया गांधी, एशिया-प्रशांत में *डेमोक्रेटिक लीडर्स फोरम (FDL-AP)* फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष हैं। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित किया गया है। बीजेपी ने यह दावा भी किया कि यह फाउंडेशन कश्मीर को भारत से अलग करने के पक्ष में रहा है। सोनिया गांधी पर यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी *राजीव गांधी फाउंडेशन* ने जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। बीजेपी ने इसे भारतीय संगठनों पर विदेशी फंडिंग के प्रभाव का उदाहरण बताया।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब उन्होंने अडानी समूह पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, तो जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्तपोषित *OCCRP* ने उसका लाइव प्रसारण किया। पार्टी ने इसे विदेशी फंडिंग और भारतीय राजनीति के बीच "मजबूत और खतरनाक संबंध" का प्रमाण बताया। बीजेपी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने जॉर्ज सोरोस को "पुराना दोस्त" बताया था।
कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह ध्यान भटकाने की कोशिश है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह अदानी समूह को बचाने के लिए विपक्ष पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है। कांग्रेस ने अडानी समूह के खिलाफ संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग को दोहराया। यह राजनीतिक तकरार देश की राजनीति में नई बहस छेड़ने का संकेत देती है, जहां विदेशी फंडिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे केंद्र में हैं।