जर्मनी ने बनाए नये कानून, इस देश की वजह से उठाया कदम

जर्मनी ने बनाए नये कानून, इस देश की वजह से उठाया कदम
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दुनिया का ताकतवार देश चीन भले ही यह कहे कि उसकी नीतियां विस्तारवादी नहीं हैं लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. चीन के कारोबारी जर्मनी की कई कंपनियों के अधिग्रहण की फिराक में हैं. इसे लेकर जर्मनी को अपने देश की बड़ी कंपनियां चीनी हाथों में जाने से बचाने के लिए नए कानून तक बनाने पड़ गए हैं.

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जर्मन वित्तमंत्री पीटर आल्टमायर ने समय रहते सरकारी दखल की नई व्यवस्था के तहत स्थायी समिति बनाने की घोषणा की है जो सरकारी बैंकों के साथ मिलकर काम करेगी. यह समिति जरूरत पड़ने पर जर्मन कंपनियों को अधिग्रहण से बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई करेगी. रणनीति के अंतिम स्वरूप को लांच करते हुए मंत्री ने बताया कि इसका लक्ष्य जर्मनी के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को नुकसान से बचाना भी है.अपने बयान में वित्तमंत्री ने बताया कि यह व्यवस्था की गई है ताकि जरूरी फैसले जल्द से जल्द और प्रभावी तरीके से लिए जा सकें. अभी यह नहीं बताया गया है कि कौन सी कंपनियों को बचाने के लिए सरकारी समिति कदम उठाएगी.

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चीन से बचने के लिए नई स्थायी समिति तब हरकत में आएगी जब सुरक्षा संबंधी तकनीक बनाने वाली किसी जर्मन कंपनी को अधिग्रहण से बचाने का अन्य विकल्प ना बचा हो. ऐसे में सरकार द्वारा कंपनी में अस्थायी हिस्सेदारी खरीदी जाएगी और यह काम सरकारी विकास बैंक, केएफडब्ल्यू करेगा. स्थायी समिति विकास बैंक के साथ काम जरूर करेगी लेकिन इसकी मदद से सरकार कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं करेगी.यूरोपीय संघ (ईयू) भी चीन के साथ अपने औद्योगिक नीति पर पुनर्विचार कर रहा है और इसी सोच के तहत जर्मन कंपनियों में चीनी निवेश को लेकर सावधानी बरतने की कोशिश हो रही है. 2016 में चीन की मीडिया नाम की कंपनी ने बवेरिया की औद्योगिक रोबोट बनाने वाली कंपनी कूका का अधिग्रहण किया था.इसके बाद से जर्मन राजनेता ऐसे सौदों को लेकर काफी सजग हो गए है.

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