जर्मनी: कोरोना संक्रमण ने दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है. कई संपन्न देशों के आर्थिक हालात बिगाड़ गए हैं, तो कई देश जो विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे उनके भी पहिए रुक से गए है. कोरोना ने विश्वभर के देशों में आमजन के साथ-साथ आर्थिक हालात लगातार बिगड़ते जा रहे है. इसका असर बच्चों के भविष्य हो रहा है.
देश में 28 लाख बच्चे गरीबी में बिताएंगे जीवन: जर्मनी के बेर्टल्समन फाउंडेशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में 28 लाख बच्चे अपना जीवन गरीबी के साथ बिता रहे है. मिली जानकारी के अनुसार सालों से बच्चों की गरीबी का मुद्दा जर्मनी के लिए सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियों बनता जा रहा है. साल 2014 से इस मुद्दे में बहुत ही कम सुधार देखने को मिला. इस रिपोर्ट के मुताबिक 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 21.3 प्रतिशत बच्चे फिलहाल गरीबी का शिकार हो चुके है.
सोशल सिक्यूरिटी पाने वाले परिवारों में 24 प्रतिशत बच्चों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट नहीं है. ड्रेगर का इलज़ाम है कि सरकार इस परेशानी से निपटने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते है. उन्होंने बताया कि बच्चों को गरीबी से बाहर निकालना प्राथमिकता होनी चाहिए, मगर ऐसा किया नहीं जा रहा है. जब कोरोना के कारण बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं तो उनके लिए कुछ और व्यवस्था की जानी चाहिए थी मगर ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है. अब उनका जीवन और भी दुख में गुजरेगा. वो बेसिक शिक्षा से भी महरूम हो सकते है.
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