ज्योतिषाचार्य के अनुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी पर रखा जाने वाला व्रत है.जिसमे व्रतधारी भगवन शंकर की आराधना करता है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है. यदि यह प्रदोष व्रत शनिवार को आता है तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है.
इस बार यह प्रदोष व्रत 27 मई शनिवार की तिथि पर आ रहा है. इस व्रत में भगवन शिव की आराधना के साथ न्याय के देवता शनि का भी ध्यान किया जाता है.
इस व्रत के लिए ऐसी मान्यता हैं कि जो भक्त शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा के बाद एकाग्र होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती हैं और जीवन के सभी कष्ट अपने आप ही दूर होते जाते हैं साथ ही इस दिन शनिदेव को मनाने के लिए शनि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है.
प्रदोष काल में भगवान शिव साक्षात शिवलिंग में अवतरित होते हैं. शनि प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके भोले शंकर की पूजा-अर्चना करके तत्पश्चात शनिदेव का पूजन करना चाहिए. व्रतधारी को सारा समय मन ही मन ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहना चाहिए. शाम को भी स्नान कर भगवन शिव की पूजा करने का प्रावधान होता है.
अपनी कुंडली के ग्रह स्वामी से जानिए अपनी सफलता
इन सावधानियों से बचा जा सकता है शनि के प्रकोप से
साधु और अनुरागी, एक नाव पर सवार दो मुसाफिर