नेटफिल्क्स की हॉरर मिनी सीरीज़ 'घोल' में राहुल डाकुना के किरदार में नज़र आने वाले मानव कौल किसी पहचान के मोहताज नहीं है. साल 2003 में 'जजंतरम ममंतरम' में नज़र आए मानव ने 2012 में 'काइ पो चे' से लोगों को अपनी एक्टिंग का नमूना भी दिखाया. मानव शुरुआत से ही फिल्मों में सेंसरशिप के खिलाफ रहे हैं और बतौर निर्देशक वो इसे कला की हत्या मानते आए हैं. हाल ही में अपनी नई सीरीज़ घोल की स्क्रीनिंग के मौके पर पहुंचे मानव ने कहा, "सेंसरशिप तो दर्शकों के हाथों में होनी चाहिए और मैं हमेशा से इसके खिलाफ रहा हूं. कोई और क्यों ये तय करे कि आप क्या देखेंगे?"
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दरअसल फिल्म घोल में मुस्लिम वर्ग के लोगों को आतंकवादी दिखाने पर कई लोगों को आपत्ति थी. इस फिल्म में भारत के अंदर एक तानाशाह सरकार का राज़ दिखाया गया है और कई मामलों में राजनीतिक कटाक्ष भी किए गए हैं. अमेरिका में भी 9 साल की एक बच्ची के मास्टरबेशन के सीन को लेकर नेटफ्लिक्स विवादों में रहा था और इसके कंटेंट को सेंसर करने की मांग भी हो रही थी.
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नेटफ्लिक्स या अमेज़न पर नजर आने वाले कंटेंट को अभी सेंसर नहीं किया जाता ऐसे में क्या घोल में सरकार पर कटाक्ष कर निर्माताओं ने फायदा उठाने की कोशिश की है? मानव कौल ने इस बात का जबरदस्त जवाब देते हुए कहा, "यही तो सिनेमा की सच्ची आजादी है, वर्ना हम लोगों को अपना काम कहां करने दिया जाता है. अगर आपको कोई कंटेंट पसंद नहीं है तो आप ना देखें. लेकिन आप क्या देखें और क्या नहीं इसके लिए किसी और पर निर्भर क्यों हुए जाएं.
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