'स्कूल नहीं जा सकेंगी 10 साल से बड़ी बच्चियां..', इस्लाम के नाम पर ये क्या कर रहा तालिबान ?

'स्कूल नहीं जा सकेंगी 10 साल से बड़ी बच्चियां..', इस्लाम के नाम पर ये क्या कर रहा तालिबान ?
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काबुल: अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। देश पर शासन कर रहा तालिबान (Taliban Banned Women Education), इस्लाम की मनमानी व्याख्या कर महिलाओं पर एक के बाद एक अमानवीय फैसले थोपता जा रहा है। अब तालिबान ने नया फरमान जारी करते हुए कहा है कि 10 साल से ज्यादा उम्र की बच्चियाँ स्कूल नहीं जा पाएँगी। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान के कुछ प्रांतों में 10 वर्ष से अधिक उम्र की बच्चियों को स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी गई है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने (Taliban Banned Women Education) स्कूलों और ट्रेनिंग सेंटरों को आदेश दिए हैं कि 10 वर्ष से ज्यादा आयु की बच्चियों का प्राइमरी स्कूलों में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहाँ मजहबी शिक्षा और मार्गदर्शन मंत्रालय (पहले-महिला मामलों के मंत्रालय) ने कई राज्यों के बालिका विद्यालयों के शिक्षकों को सूचित कर दिया है कि तीसरी कक्षा के ऊपर की सभी छात्राओं को घर वापस भेज दिया जाए। जब मीडिया ने इस संबंध में छठीं कक्षा की एक छात्रा, जो कि पूर्वोत्तर अफगानिस्तान में रहती है, से बात की, तो उसने बताया कि, 'हमसे कहा गया है कि जो लड़कियाँ लंबी हैं और 10 साल से बड़ी हैं, उन्हें स्कूल आने की अनुमति नहीं है।'

उच्च शिक्षा पर पहले से है बैन :-

रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम (Taliban Banned Women Education) ने अपने आदेश में कहा था कि आप सभी को सूचित किया जाता ​है कि अगली सूचना तक महिलाओं को देश के किसी भी यूनिवर्सिटी में दाखिले की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसे फ़ौरन लागू करें। बता दें कि दूसरी बार अफगानिस्तान की सत्ता में वाले तालिबान ने अपने आप को बदलने को वादा किया था, मगर उसके फैसले बता रहे हैं कि, वो अब भी नहीं बदला है और इसकी गुंजाईश भी नहीं दिख रही है।

तालिबान (Taliban Banned Women Education) के इन आदेशों को संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी परेशान करने वाला इस कदम करार दिया था। उन्होंने कहा था कि, “यह कल्पना करना कठिन है कि महिलाओं की शिक्षा और उनकी भागीदारी के बिना कोई देश किस तरह विकास कर सकता है। उन सभी चुनौतियों से कैसे निपट सकता है, जो उसके सामने मौजूद हैं।''

सज-धजकर मर्दों से मिलने जाती हैं लड़कियां :-

बता दें कि, अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम (Taliban Banned Women Education) ने मामले पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में लड़के-लड़कियों के मेल जोल को रोकने के लिए यह बंदिश जरूरी थी। अफगानिस्तान के एक टीवी चैनल पर इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटियों में कुछ ऐसे विषय पढ़ाए जा रहे थे, जो 'इस्लाम' के विरुद्ध हैं। इसके अलावा भी लड़कियों के विश्वविद्यालयों में लगे प्रतिबंध के लिए कई और कारण बताए गए हैं।

बताया गया था कि छात्राएँ तालिबानी ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रहीं थीं। छात्राएँ इस प्रकार सज-धज कर पढ़ने जाती थीं, मानो शादी-विवाह में जा रही हैं। तालिबान का कहना है कि यूनिवर्सिटी में औरतें और मर्द आज़ादी से एक-दूसरे से मिल रहे थे, जो तालिबान को पसंद नहीं था। तालिबान सरकार के फैसले पर पूरे विश्व में हो रही आलोचना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान का व्यक्तिगत मामला है और इसमें दूसरे देशों को दखल नहीं देना चाहिए।

बता दें कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban Banned Women Education) के नियंत्रण के बाद महिलाओं पर तमाम तरह के बैन लगाए गए हैं। न तो वो उच्च शिक्षा हासिल कर सकती थी और न ही नौकरी कर सकती थी। उन्हें नौकरियों से निकाल दिया गया था। यहां तक कि न्यूज एंकर्स के लिए भी तालिबान ने फरमान जारी करते हुए कहा था कि वो हिजाब पहनें वर्ना, उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। तालिबान की इन हरकतों के खिलाफ एक महिला प्रोफेसर ने लाइव टीवी शो परअपनी डिग्रियां फाड़कर विरोध किया था और तालिबान को जमकर लानतें भेजी थी। 

हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, तालिबान (Taliban Banned Women Education) इस तरह के अपने हर फैसले के पीछे 'इस्लाम' का हवाला देता रहा है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जैसे अधिक विकसित मुस्लिम देश इन तमाम मुद्दों पर चुप्पी साधे क्यों बैठे हुए हैं। सऊदी अरब लड़कियों की पढ़ाई पर जोर दे रहा है, यहाँ तक कि, उसने परीक्षा हॉल में लड़कियों के हिजाब-बुर्के पहनने पर बैन लगाया है। दुनिया के 56 इस्लामी देशों में से कई में महिलाएं पढ़ाई करती हैं, नौकरी करती हैं, तो क्या वे इस्लाम का पालन नहीं कर रहीं हैं ? ये देश, तालिबान को समझाने की कोशिश क्यों नहीं करते कि, लड़कियों को अशिक्षित बनाकर, वो एक अशिक्षित देश बनाने की दिशा में ही बढ़ रहा है और इसके लिए वो इस्लाम की मनमानी व्याख्या कर रहा है। 

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