कलकत्ता: दुष्कर्म के एक मामले में निचली कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के पश्चात् कलकत्ता उच्च न्यायालय पहुंचे एक किशोर को राहत देते हुए डबल बेंच ने किशोर उम्र के लड़के लड़कियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। उच्च न्यायालय ने कहा, लड़कियों को चाहिए कि वह अपनी दो मिनट की यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखें। लड़कों के लिए दिशा-निर्देश देते हुए उन्होंने कहा, लड़कों को चाहिए कि वह महिलाओं की इज्जत करें तथा उनके सम्मान की रक्षा करें। पिछले वर्ष लड़के ने अपनी हमउम्र लड़की के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिये थे जिसके आधार पर उनको निचली कोर्ट ने दुष्कर्म का दोषी ठहराया था तथा लड़के को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। लड़की की आयु 18 वर्ष से कम थी।
मामले को सुने जाने के चलते सुनवाई के चलते लड़की ने अदालत को बताया था कि उसने अपनी इच्छा से लड़के के साथ संबंध स्थापित किए थे और बाद में उन्होंने एक दूसरे से शादी कर ली। उन्होंने कहा- भारत में सेक्स के लिए सहमति की आयु 18 वर्ष है। पॉक्सो कानून के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु की लड़की की सहमति को वैध नहीं माना जाता है तथा उनके साथ यौन संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी में रखा जाता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को सुनने के पश्चात् लड़के की सजा पर रोक लगा दी। साथ ही उन्होंने कहा, किशोरों के बीच यौन संबंध बनना सामान्य बात है मगर इस प्रकार की चाहत से बचने का प्रयास करना चाहिए। कोर्ट ने लड़कियों से रिक्वेस्ट करते हुए कहा, 'वे 2 मिनट के यौन सुख की जगह अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें।' कोर्ट ने कहा,'लड़कों को अपने दिमाग को एक महिला के आत्म सम्मान, गरिमा, गोपनियता तथा उसके शरीर का सम्मान करना आना चाहिए।
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