कहते हैं श्रीमद्भागवत गीता में जीवन का सार बताया गया है और अगर कोई व्यक्ति गीता के ज्ञान को अपने जीवन में उतार ले तो वो किसी भी परिस्थिति का सामना बहुत आसनी से कर सकता है. कहते हैं गीता के पूर्ण ज्ञान को अपने जीवन में उतारना हर किसी के वश की बात नहीं है लेकिन गीता के कुछ उपदेश ऐसे हैं जिन्हें हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए और उसे आजमाने से वह खुश हो सकते हैं. आज हम आपको गीता के कुछ प्रमुख उपदेश बताने जा रहे हैं जो आपको लाभ दे सकते हैं. आइए जानते हैं.
* कहा जाता है इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है उसका स्वयं का क्रोध होता है और अगर व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण करना सीख ले तो वह बहुत सी परेशानियों से बच सकता है. जी हाँ, गीता में कहा गया है कि क्रोध व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट कर देता है, जो मनुष्य के पतन का कारण बनता है इस करन से व्यक्ति को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए.
* कहते हैं गीता में लिखा है कि किसी भी बात को लेकर संदेह मत करो, जो लोग संदेह या शक करते हैं वे कभी प्रसन्न नहीं रह पाते हैं. इसी के साथ सभी को यह जान लेना चाहिए कि जो हो रहा है वह व्यक्ति के वश में नहीं है और न ही वह उसे बदल सकता है इस कारण से व्यक्ति को अपने मन में संदेह नहीं रखना चाहिए.
* गीता के अनुसार इंसान के दुख का सबसे बड़ा कारण होता है कार्य को करने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना और यही परिणाम व्यक्ति को कुछ भी करने से रोकता है. जी दरअसल गीता में कहा गया है कि कर्म करते रहो फल की इच्छा मत करो, अगर तुम मन लगाकर कर्म करोगे तो ईश्वर उसका फल अवश्य देगा और अगर व्यक्ति गीता के इस उपदेश को अपने जीवन में उतार लेने से सब काम हो जाते हैं.
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