बेतिया: माता-पिता बच्चों को कुछ दे या न दे, लेकिन बच्चो को संस्कार अवश्य देना चाहिए. इससे पहले माता-पिता का भी संस्कारवान हों जरूरी हैं. बच्चों को सांसारिक,सामाजिक बुराइयों और भ्रष्टाचार से भी उन्हें परिचित करवाकर उनसे बचने की और दूर रहने की सलाह देना चाहिए. छात्र-छात्राओं को अनुशासन, समय पालन का पाठ भी पढ़ाना चाहिए.
उक्त विचार प्रधानाध्यापक गो¨वद प्रसाद के है, प्रधानाध्याक श्री प्रसाद चनपटिया प्रखंड के जैतिया मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं. ये बीआरसी, शिक्षा परियोजना,राज्य से संचालित विभिन्न शिक्षा शोध में अपनी सक्रिय भूमिका के लिए पूरे प्रखंड में जाने जाते है. इनका कहना है कि केवल बच्चों को शिक्षा देना ही संस्कार नहीं कहलाता है, बल्कि समाज से भ्रष्टाचार,बुराई का खात्मा करना और समाज मे सृजनात्मक कार्य को बढ़ावा देना भी एक संस्कार ही है.
उन्होंने आगे बताया कि आज के आधुनिक युग में तकनीको ने जैसे इंटरनेट सेवा,मोबाइल, कंप्यूटर,लैपटॉप आदि ने हमारे समाज को पूरी तरह से जकड़ लिया है,उस परिस्थिति में बच्चों को नैतिक शिक्षा देना अनिवार्य हो गई है. प्रधानाध्यापक गो¨वद प्रसाद के अनुसार विद्यालय में पाठशाला आरम्भ करने के पूर्व सभी शिक्षकों का 10 मिनट का वार्म अप होता है, तत्पश्चात चेतना सत्र के समय बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ और भी आवश्यक पहलुओं पर चर्चा कर छात्रों में संस्कार भरने की कोशिश की जाती है.
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