भारतीय फुटबाल खेल को लेकर अक्सर यह बात कही जाती है कि वो विदेशी प्रशिक्षकों पर ज्यादा निर्भर रहता है और गोलकीपर सुब्रत पाल को लगता है कि यह वक्त बदलाव का है और भारतीय प्रशिक्षकों को लेकर राय बनाने से पहले उन्हें मौके दिए जाने चाहिए तभी पता चल सकेगा कि वह काबिल हैं या नहीं. सुब्रत ने कहा कि क्लब और अंतर्राष्ट्रीय स्तर, दोनों जगहों पर भारतीय प्रशिक्षकों को मौके देने चाहिए.
सुब्रत ने आईएएनएस से कहा, जब तक हम भारतीय प्रशिक्षकों को मौके नहीं देंगे, हम कैसे अंतर पैदा कर सकते हैं? भारतीय प्रशिक्षकों को मौके दिए जाने चाहिए इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. हम अभी भी तुलना करने की स्थिति में नहीं हैं. किसी भी भारतीय कोच ने इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में कोचिंग नहीं दी है. भारत के बेहतरीन गोलकीपरों में चुने जाने वाले सुब्रत ने कहा है कि आई-लीग में भी विदेशी और भारतीय प्रशिक्षकों के बीच प्रतिद्वंद्विता सीमित है.
उन्होंने कहा, जब राष्ट्रीय फुटबाल लीग (एनएफएल) भारत में शुरू हुई थी तब प्रशिक्षकों के लिए डिग्री जैसा कोई पैमाना नहीं होता था. जब से यह डिग्री वाली चीज शुरू हुई है तब से क्लबों ने विदेशी प्रशिक्षकों को भर्ती करना शुरू कर दिया है क्योंकि भारतीय प्रशिक्षकों के पास डिग्री नहीं है. इसके बाद भी हमने देखा है कि कुछ ही क्लब विदेशी प्रशिक्षकों का खर्च उठा पाते हैं. उन्होंने कहा, बीते तीन या चार साल में भारतीय प्रशिक्षकों को लेकर कई काम हुए हैं. भारत में लाइसेंस प्रशिक्षकों की संख्या बढ़ गई है. कई प्रो-लाइसेंस कोच और ए-लाइसेंस कोच भी हैं. मेरे पास सटीक आंकड़े नहीं हैं इसलिए मौका दिए बिना आप फैसला नहीं ले सकते, चाहे आईएसएल में या चाहे राष्ट्रीय टीम में. अगर भारतीय कोच अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते तो हम कह सकते हैं कि वो अच्छे नहीं हैं.
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