इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी राष्ट्र बना पाकिस्तान अपनी कट्टरपंथी हरकतों के कारण कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस चुका है। लेकिन, आर्थिक तंगी, राजनितिक अस्थिरता और आतंकी हमलों से जूझ रहे पाकिस्तान के सिर से अब भी जिहाद का भूत उतरने का नाम नहीं ले रहा है, वहां खुलेआम जिहाद के लिए चंदा बटोरा जा रहा है, और वो भी ईद जैसे त्यौहार के अवसर पर, जब दुनियाभर के मुस्लिम इबादत में लगे होते हैं, ऐसे समय में पाकिस्तानी कट्टरपंथी, लोगों में मजहब के नाम पर जिहादी नफरत भरने का काम कर रहे हैं।
UN designated terror group Jaish e Muhammad openly runs in Pakistan with the help of Army/ISI. Jaish Terrorist appeals for funds for ‘Jihad’ & ‘Mujahideen’ @ Masjid (Mosque) Mathra Dagai in Swabi of Khyber Pakhtunkhwa in Pakistan. Will FATF/UNSC take note? pic.twitter.com/f2si8Usrch
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 1, 2020
इस घटना से पाकिस्तान सरकार की बेशर्मी भी जाहिर होती है, जो दावा करती है कि, वो आतंकवाद के खिलाफ एक्शन ले रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वहां आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को जिहाद के लिए सरेआम चंदा उगाही करते पाया गया है और पाकिस्तान सरकार खामोश है। यही कारण है कि, पाकिस्तान कई वर्षों तक लगातार FATF की ग्रे सूची में कलंकित होता रहा था। मगर, अब एक बार फिर, संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पेशावर और कुछ दूसरे शहरों में ईद के त्यौहार पर लोगों से जिहाद के लिए पैसा मांगता पाया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संसथान यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के लोग, गत माह खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर शहर के बाहर बागे-नारन इलाके में कश्मीर और फिलिस्तीन में जिहाद के लिए कथित तौर पर पैसे जमा करते पाए गए थे।हालाँकि, यह पहली बार नहीं है, अफगानिस्तान-पाकिस्तान में पहले भी ऐसा होता रहा है।
Mardan: Terrorists openly collect donations in mosques in d name of Afghan jihad, no 1 can stop them
— Sohail Noor Khan (@sohailnoorkhan) May 12, 2020
The video is from 11/5/2020 when Jaish-e-Muhammad terrorists were soliciting donations in d name of jihad in d mosque of Sahibzada Baba in Bakhsh
Detail ????https://t.co/iR1qqwkn89 pic.twitter.com/HDL2wbpoX5
FATF को धोखा दे रहा पाकिस्तान :-
यूरोपीय टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चंदा उगाहने की इस बात से पाकिस्तान ने पूरे विश्व में आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था, FATF द्वारा निर्धारित की गई खतरे की रेखा को पार किया है। इसी खतरे की रेखा के अंदर होने के कारण पाकिस्तान कई साल ग्रे लिस्ट में रहा था, और गत वर्ष ही इससे बाहर किया गया था। लेकिन, जैश-ए-मोहम्मद का इस तरह ईद पर जिहाद के लिए पैसा जमा करना क्या यह साबित नहीं करता कि पाकिस्तान आतंकवाद की फंडिंग को खत्म करने की जगह, उल्टा इसे बढ़ावा ही दे रहा है और इस प्रकार FATF से किए अपने वादे से मुकर रहा है? क्या पाकिस्तान पर फिर से वैसी ही सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? पूरे पड़ोसी मुल्क का हाल ये चुका है कि, वहां की आम जनता भी आतंकवाद और इस्लाम में अंतर नहीं कर पा रही है और ईद वाले दिन जिहाद के लिए आतंकियों को पैसे दे रही है।
#UN-proscribed global terror group Jaish-e-Mohammad (#JeM), openly sought funds for jihad in #Peshawar and other cities during the Eid celebrations. By letting this happen, #Pakistan has violated a key redline set by the global anti-terrorist financing watchdog, FATF. pic.twitter.com/xtrD29EcnD
— Afrah Shah (@afrahshah1) May 4, 2023
इस सच्चाई के सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर कई पाकिस्तानियों ने लिखा है कि कट्टरपंथी संगठनों द्वारा जिहाद के लिए पैसा वसूलने जैसी हरकतें कई इलाकों में चल रही हैं। पाकिस्तान में रहने वालों ने ही बताया है कि जैश-ए- मोहम्मद के लोग अप्रैल 2023 में खैबर पख्तूनख्वा में जिहाद के लिए लोगों से पैसे इकट्ठा कर रहे थे। बाद में कई अन्य पाकिस्तानियों ने सोशल मीडिया पर ही लिखा कि ऐसा तो और भी कई इलाकों में हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ पाकिस्तानियों का तो यहां तक कहना है कि कई मस्जिदों में तो नियमित ही इस प्रकार से कथित जिहाद के लिए चंदा वसूला जाता है और पुलिस वाले देखते रहते हैं। एक प्रकार से वे चंदा उगाही की निगरानी करते प्रतीत होते हैं।
मस्जिदों से भी जिहाद के लिए वसूला जाता है चंदा:-
बता दें कि, यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट में भी मस्जिदों वाली बात का जिक्र किया गया है। कई लोगों के बयानों के साथ रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकी संगठन, कराची की मस्जिदों में सरेआम ‘जिहाद के लिए’ फंड जुटाते हैं। यूरोपियन टाइम्स लिखता है कि जून 2021 में जब FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची से बाहर करने से इंकार किया था, जब इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ एक्शन लेने में पाकिस्तान के नाकाम रहने का हवाला दिया था। FATF ने उस समय स्पष्ट कहा था कि पाकिस्तान उसे दिए 27 कामों में से 26 को पूरा करने के बाद भी, आतंकवादियों और आतंकी संस्थाओं पर आरोप तय करने के अंतिम काम को पूरा नहीं कर सका। यह वजह बताते हुए पाकिस्तान को FATF ने ग्रे सूची में ही रखा था।
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