वित्त मंत्रालय ने कहा कि टैक्सपेयर्स को 2018-19 के सालाना जीएसटी रिटर्न में सिर्फ उस वित्त वर्ष से जुड़े लेनदेन की ही जानकारी देने की जरुरत है। मंत्रालय के एक स्टेटमेंट के मुताबिक, उसे यह जानकारी दी गई कि साल 2018-19 के लिए स्वतः भरे हुए जीएसटीआर- 9 में वित्त वर्ष 2017-18 का आंकड़ा भी सम्मिलित है। हालांकि, टैक्सपेयर्स ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए यह जानकारी पूर्व में ही वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भरे गए वार्षिक रिटर्न (जीएसटीआर 9) में प्राप्त करा दी है।
वही साल 2018-19 के लिए प्रपत्र जीएसटीआर-9 में दो सालों (2017-18 एवं 2018-19) को अलग-अलग दिखाने के कोई इंतजाम नहीं है। स्टेटमेंट में कहा गया है, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि टैक्सपेयर्स को केवल वित्त वर्ष 2018-19 से जुड़े मूल्य के बारे में ही जानकारी देनी है। वित्त वर्ष 2017-18 से जुड़े मूल्य के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गयी है, ऐसे में उसके बारे में सुचना देने की आवश्यकता नहीं है।'
स्टेटमेंट के मुताबिक, ऐसे केसों में कोई प्रतिकूल दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाएगा, जहां टैक्सपेयर्स के वित्त वर्ष 2018-19 के वार्षिक रिटर्न में वित्त वर्ष 2017-18 से जुड़ी आपूर्तियों तथा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के विवरण को सम्मिलित करते हुए उसे फाइल कर चुके हैं तथा उसमें विसंगतियां पाई गई हों। वही जीएसटीआर-9 सालाना रिटर्न हैं, जिसे माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत रजिस्ट्रड टैक्सपेयर्स को भरना होता है। इसमें विभिन्न टैक्स मदों में आपूर्तियों के संदर्भ में ब्योरा होता है। साथ ही इस बारे टैक्सपेयर्स के लिए कई सुविधा उपलब्ध कि गई है।
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