नई दिल्ली: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वे राष्ट्रीय राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रहे हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें "केंद्रीय मंत्रालयों से कई अनुमतियों की आवश्यकता है, जो एक कठिन मुद्दा है"। इस पर शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को केंद्र से संपर्क कर अनुमति लेने को कहा और पूछा कि अदालत को इसमें हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए।
दिल्ली के मुख्य सचिव ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा के जरिए एक प्रस्ताव पेश किया। अदालत दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से शहर में कृत्रिम बारिश की संभावना तलाशने का फैसला किया है। बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश को लेकर आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की थी।
आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने पहले कहा था कि अगर केंद्र फैसले का समर्थन करता है, तो वह 20 नवंबर तक शहर में कृत्रिम बारिश के पहले चरण की व्यवस्था कर सकती है। मुख्य सचिव को केंद्र के साथ आवश्यक आवेदन दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया था। कृत्रिम बारिश के लिए केंद्र से अनुमति लेनी होगी। केजरीवाल सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया था कि वह कृत्रिम बारिश कराने के लिए चरण 1 और चरण 2 के पायलटों की कुल लागत 13 करोड़ रुपये वहन करेगी।
इस बीच, प्रदूषण के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'साल-दर-साल हमारे हस्तक्षेप के बाद प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई में गति आती है। जबकि हर कोई प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानता है, वे अदालत के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहे हैं। हमारे पास हर समस्या का समाधान है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा है। अदालत खुद कहती है कि हम परिणाम चाहते हैं। हम विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन हम समाधान चाहते हैं।' बता दें कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लेकर दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की, विशेष रूप से इसकी प्रमुख सम-विषम कार योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठाया था।
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