माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Magh Month Panchami Tithi) को माता सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन को बसंत पंचमी (Basant Panchami) के नाम से जाना जाता है। आप सभी को बता दें कि इस दिन विशेष रूप से ज्ञान की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati) का पूजन किया जाता है और उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें अर्पित की जाती हैं। वहीँ विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए ये दिन सबसे अहम है। आप सभी को बता दें कि माता सरस्वती को बसंत पंचमी के दिन पीली चीजों को अर्पित करने का विधान है। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन माता के भक्त भी पीले वस्त्र ही धारण करते हैं।
आप सभी को बता दें कि इस बार बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी शनिवार के दिन मनाया जाएगा। तो हम आपको बताते हैं आखिर क्या है पीले रंग का महत्व? ज्योतिषों का कहना है धार्मिक रूप से पीले रंग को हमेशा शुभ ही माना गया है। जी दरअसल यह रंग सादगी और सात्विकता का रंग माना जाता है। इसके अलावा माघ मास में कड़ाके की ठंड कम हो जाती है और मौसम सुहावना हो जाता है। इस मौसम में पेड़-पौधों पर नई पत्तियां, फूल-कलियां खिलने लगती हैं और खेतों में सरसों की फसल लहराने लगती है।
केवल यही नहीं बल्कि सरसों के फूल पीले होते हैं। ऐसे में इस दृश्य को देखकर लगता है कि मानों प्रकृति स्वयं का शृंगार पीले रंग से कर रही है। इसी मौसम में माता सरस्वती का जन्म दिवस मनाया जाता है। यह सब देखते हुए माता को प्रकृति के इस विशेष रंग की चीजों यानी पीले वस्त्र, पीला भोग, पीला फल, पीले फूल आदि को अर्पित करने का विधान है।
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