अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग से पहले सूबे की भाजपा सरकार ने शुक्रवार को 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में दोषियों को जमानत देने पर नरम रुख अपनाने से साफ मना कर दिया है। बता दें कि इस कांड के बाद पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। सर्वोच्च न्यायालय के यह कहने के बावजूद गुजरात सरकार ने यह रुख अपनाया है कि उनमें से कुछ पत्थरबाज थे और वे काफी समय तक जेल में रहे हैं। दोषियों की अपील 2018 से शीर्ष अदालत में लंबित है।
चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि दोषी 17-18 वर्षों से जेल में हैं और कोर्ट पथराव के आरोपियों को कम से कम जमानत देने पर विचार करेगी। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कोई पथराव का मामला नहीं है। पत्थरबाजी की वजह से पीड़ितों को जलते कोच से बाहर निकलने से रोक दिया गया था, इसे केवल पत्थरबाज़ी नहीं कहा जा सकता।
बता दें कि, गुजरात उच्च न्यायालय ने 2017 में 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। वहीं, 20 दोषियों की उम्रकैद की सजा को कायम रखा था। वहीं, कोर्ट इस मामले में 63 अभियुक्तों को बरी कर दिया था। बता दें कि 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में मुस्लिम भीड़ ने आग लगा दी थी, जिसमे 59 हिन्दू श्रद्धालु जिन्दा जल गए थे। यही नहीं, जलते हुए ट्रेन के कोच से कोई बाहर न निकल सके, इसलिए भीड़ बाहर से लगातार पत्थरबाज़ी भी कर रही थी।
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