भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को गोगा पंचमी का पर्व मनाया जाता है जो इस साल 31 अगस्त को मनाने वाले हैं. इस पंचमी को गोगा पंचमी के नाम से जाना जाता है और इस दिन नाग देवता को भी पूजा जाता है. इस पंचमी के बारे में पुराणों में बताया गया है कि गोगादेव सर्पदंश से हमारे जीवन की रक्षा करते हैं और इसी के कारण गोगादेव के साथ नाग देवता की पूजा भी करते हैं. आइये जानते हैं कैसे की जाती है इन देवताओं की पूजा और क्या लाभ होता है.
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वैसे तो हिन्दू धर्म में कई त्यौहार मनाये जाते हैं और उनमे ही गोगा पंचमी खास होती है. पंचमी के दिन गोगादेव और नागदेवता पर दूध अर्पित किया जाता है और इस दिन दीवार पर गेरू से पोतकर दूध में कोयला मिलाकर चौकोर चौक बनाया जाता है और उसके ऊपर 5 सांप बनाते हैं. ऐसा अक्सर नागपंचमी के समय भी किया जाता है. दीवार प्र बने हुए सांप को कच्चा दूध, पानी, रोली व चावल अर्पित किए जाते हैं तथा बाजरा, आटा, घी और शकर मिलाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है.
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इस पंचमी की खास मान्यता है कि भगवान गोगा देव बच्चों के जीवन की रक्षा करते हैं और महिलाएं अपने बच्चों की लम्बी उम्र के लिए इस व्रत और पूजन को करती हैं. इस दिन पूजा करने से नि:संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है इसलिये इस व्रत को करना चाहिए. इसके बाद भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगा नवमी भी मनाई जाती है और पंचमी से ज्यादा ये खास नवमी के लिए प्रसिद्द है.
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