पटना: पीएम नरेन्द्र मोदी रविवार (28 मई) को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करने वाले हैं, जिसे लेकर जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस समेत विपक्ष के 20 दलों ने उद्घाटन समारोह का बॉयकॉट करने का ऐलान कर दिया है. इसी क्रम में अब बिहार के सीएम और JDU के प्रमुख नेता नीतीश कुमार ने अलग ही बयान देते हुए कहा कि नया संसद भवन नहीं बनना चाहिए था. उनका आरोप है कि सरकार पुराना इतिहास बदलना चाहती है.
मीडिया से मुखातिब होते हुए नीतीश कुमार ने कहा है कि, 'शुरू में भी बात हो रहा था कि ये (संसद भवन) बन रहा है, तो भी हमको अच्छा नहीं लग रहा था. ये तो इतिहास है, आजादी मिली, तो जिस चीज की जहां पर शुरूआत हो गई, उसे वहीं पर विकसित कर देना चाहिए. अलग से बनाने का कोई औचित्य नहीं है. क्या पुराना इतिहास ही बदल दीजिएगा? हमको अच्छा नहीं लग रहा है कि ये नया संसद भवन बना रहे हैं. पुराना इतिहास बदलना चाहते हैं बस. नया संसद भवन नहीं बनाना चाहिए था. जो पुराना संसद भवन था उसी को ठीक कर देना चाहिए था. मैं तो इसके विरुद्ध हूं. ये लोग सब इतिहास बदलना चाह रहे हैं. नए संसद में जान बेकार है. कोई मतलब नहीं है वहां जाने का. क्या आवश्यकता है, वहां जाने की और उस भवन को बनाने की.'
विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह का विरोध किए जाने पर नीतीश ने कहा कि, 'खैर और पार्टियां कह रही हैं कि वो राष्ट्रपति को नहीं बुलाने के कारण नहीं जा रही है. वो जो भी कारण हैं, मगर हमको लगता कि इसकी क्या आवश्यकता थी अलग से बनाने की. तो बिल्डिंग थी, उसी को ठीक करते, जो इतिहास है उसे भुला देंगे क्या? आप जान लीजिए कि जो आजकल शासन में हैं वो सारे इतिहास को बदल देंगे. आजादी की लड़ाई के इतिहास को बदल देंगे.जो पहले प्रधानमंत्री थे नेहरू जी, उनकी मौत के वक़्त हम स्कूल में पढ़ रहे थे...हम मानते हैं कि देश का जो इतिहास है वो बहुत जरूरी है, नया बनाने की क्या आवश्यकता थी..इन लोगों को तो पूरा इतिहास बदलना है, इसलिए बदल रहे हैं.'