सोने के दामों में निरंतर बढ़ोत्तरी होती जा रही है. इससे मिलने वाले इंटरेस्ट से गोल्ड लोन कंपनियों की आय में भी खासा उछाल देखने को मिल रहा है. मगर इसके साथ ही रेट में गिरावट के कारण नुकसान का भी खतरा और बढ़ गया है.
सोने के प्राइस में निरंतर इजाफा
एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना दौर के प्रारंभ से ही सोने के प्राइस में निरंतर इजाफा हो रहा है. सोने के बढ़ते रेट की साहयता कुछ भारतीय गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों व गोल्ड लोन कंपनियों के लोन ग्रोथ में भी तेजी आ रही है. बता दें मार्च माह से जून तक मणप्पुरम व आईआईएफएल ने लगभग 4 से 5 प्रतिशत तक ग्रोथ दर्ज की गई है. इससे ब्याज से होने वाली आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है. रेट में गिरावट से इन कंपनियों के सामने जो खतरा है, उसके लिए गोल्ड वैल्यू पर 75 प्रतिशत तक कर्ज की रकम (लोन टू वैल्यू) की नियामक सीमा प्रतिरोध जैसा कार्य करती है.
सोने के रेट में गिरावट से बढ़ सकते हैं डिफॉल्टर
सोने के रेट में गिरावट से डिफॉल्टर बढ़ सकते हैं. खासकर ऐसी परिस्तिथि में जब कर्ज की राशि गिरवी रखे गए सोने की बाजार वैल्यू से कहीं ज्यादा हो. रिपोर्ट के अनुसार खतरा बढ़ने से गोल्ड लोन कंपनियों की मौजूदा रेटिंग भी प्रभावित हो सकती है. फिलहाल मुख्य कंपनियों में मणप्पुरम फाइनेंनस की फिच रेटिंग बीबी- मुथूट फाइनेंनस की बीबी और आईआईएफएल फाइनेंनस की बी+ है. रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड लोन सेफ होता है. सोने के रेट बढ़ने से इसके कर्ज में और वृद्धि के आसार हैं. क्योंकि कोरोना संक्रमण से प्रभावित अर्थव्यवस्था में यह कर्ज देने और लेने वाले, दोनों के लिए के लिए उचित होता है.
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