इंडिया के एशियाई खेलों के 'गोल्ड मेडल' विजेता फुटबॉलर और ओलंपियन तुलसीदास बलराम का लंबी बीमारी के उपरांत गुरूवार को यहां निधन हो गया। उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने यह सूचना दी है। बलराम 87 वर्ष के थे। वह उत्तरपारा में हुगली नदी के किनारे एक फ्लैट में रह रहे थे। पिछले वर्ष 26 दिसंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। 1962 के एशियाड चैंपियन का पेशाब के संक्रमण और पेट संबंधित बीमारी के लिये उपचार चल रहा था।
परिवार के एक करीबी सूत्र ने इस बारें में जानकारी दी है कि ‘‘उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और आज दोपहर तकरीबन दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। '' बलराम 1950 और 1960 के दशक में इंडियन फुटबॉल की सुनहरी पीढ़ी का भाग भी रहे है, इसमें वह चुन्नी गोस्वामी और पीके बनर्जी जैसे दिग्गजों के साथ खेलते थे जिससे उन्हें ‘होली ट्रिनिटी' (त्रिमूर्ति) के नाम से पुकारा जाता था। अर्जुन पुरस्कार से नवाजे जा चुके बलराम के 1960 रोम ओलंपिक में प्रदर्शन को अब तक नहीं भुलाया जा सकता है।
हंगरी, फ्रांस और पेरू के साथ ‘ग्रुप ऑफ डेथ' में शामिल इंडिया को पहले मैच में हंगरी से 1-2 से हार का सामना करना पड़ लेकिन बलराम ने 79वें मिनट में गोल करके खुद का नाम इतिहास के पन्नों में शामिल भी किया जा चुका है। इंडिया कुछ दिनों बाद फ्रांस को हराकर उलटफेर करने के करीब पहुंच गया था इसमें भी बलराम का प्रदर्शन शानदार भी था। वह ज्यादातर ‘सेंटर फॉरवर्ड' या ‘लेफ्ट विंगर' के तौर पर खेलते थे। लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने 1963 में खेल से अलविदा होने का निर्णय भी किया है।
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