नई दिल्ली: अब तक भारत में नए कोरोना वैरिएंट C.1.2 का कोई केस दर्ज नहीं किया गया. सरकारी सूत्र ने इसकी खबर दी. कोरोना के डेल्टा वेरिएंट की बढ़ती मुश्किल के बीच घातक संक्रमण के एक नए वेरिएंट का पता चला है. दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट्स ने SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट का पता लगाया है, जो वायरस कोरोना की वजह बनता है, जिसे C.1.2 के तौर पर जाना जाता है.
वही दक्षिण अफ्रीका तथा विश्व स्तर पर कई अन्य देशों में इस नए वैरिएंट की खबर मिली है. बता दें कि C.1.2 की पहचान पहली बार मई 2021 में देश में कोरोना की तीसरी लहर के समय हुई थी.तब से यह दक्षिण अफ्रीका के ज्यादातर प्रांतों तथा अफ्रीका, यूरोप, एशिया एवं ओशिनिया में फैले सात अन्य देशों में पाया गया है. रिसर्चर ने स्टडी में कहा कि अभी तक इसकी समीक्षा नहीं की गई है तथा इसे प्री-प्रिंट सर्वर पर पोस्ट किया गया है. मेडरेक्सिव वैरिएंट C.1 से डेवलप हुआ है, जो दक्षिण अफ्रीका में SARS-CoV-2 वायरस की पहली लहर पर हावी होने वाली वंशावली में से एक है तथा अंतिम बार जनवरी 2021 में इसकी खबर मिली थी.
स्टडी के मुताबिक, C.1.2 में प्रति वर्ष 41.8 उत्परिवर्तन होते हैं. यह मौजूदा वैश्विक दर से तकरीबन 1.7 गुना तेज है तथा SARS-CoV-2 विकास के आरभिंक अनुमान से 1.8 गुना तेज है. C.1.2 में पहचाने गए तकरीबन 52 प्रतिशत स्पाइक म्यूटेशन को पहले अन्य VOI और VOCs में पहचाना गया है. इनमें D614G, सभी वेरिएंट के लिए सामान्य, तथा E484K और N501Y सम्मिलित हैं, जिन्हें बीटा और गामा के साथ शेयर किया जाता है, E484K को Eta में तथा N501Y को अल्फा में भी देखा जाता है.
अब मध्यप्रदेश में शराब खरीदने पर मिलेगा बिल, नहीं देने पर कर सकेंगे दुकानदार की शिकायत
एक बार फिर सुर्ख़ियों में छाई 'तारक मेहता...' शो की बबीता जी, जानिए क्या है वजह?
जैकलीन फर्नांडिस पर ED का शिकंजा, अभिनेत्री को तिहाड़ जेल से आते थे कॉल.. चॉकलेट-फूल भेजता था अपराधी