नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ईंधन पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह टैक्स एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF), पेट्रोल एवं डीजल जैसे उत्पादों पर लागू था। औपचारिक रूप से इसे विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Special Additional Excise Duty - SAED) कहा जाता है। इसे पहली बार 2022 में उस समय लागू किया गया था, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। इस टैक्स को खत्म करने का निर्णय तेल कंपनियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
तेल कंपनियों को मिली बड़ी राहत
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस निर्णय को 29/2024 और 30/2024 नंबर की अधिसूचनाओं के माध्यम से औपचारिक रूप से लागू किया गया है, जिन्हें संसद में पेश किया गया। 2022 में, जब क्रूड ऑयल की कीमतों में तेज़ी आई थी, तब सरकार ने घरेलू कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और हवाई ईंधन (ATF) के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स लगाया था। इसका उद्देश्य तेल कंपनियों द्वारा बढ़ते मुनाफे से अतिरिक्त राजस्व अर्जित करना था। सरकार द्वारा इस टैक्स को हटाने से तेल क्षेत्र की कंपनियों को सीधा लाभ होगा। साथ ही, यह निर्णय वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की स्थिर होती कीमतों को भी ध्यान में रखकर लिया गया है।
क्या है विंडफॉल टैक्स?
विंडफॉल टैक्स एक असाधारण कर है, जो किसी उत्पादक कंपनी पर तब लगाया जाता है जब उसके मुनाफे का स्तर एक निश्चित सीमा से ऊपर चला जाता है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा उत्पादों की वैश्विक मांग में तेज़ी आई। इसके परिणामस्वरूप, कच्चे तेल, पेट्रोल और डीजल की कीमतें असामान्य रूप से बढ़ गईं। भारत ने पहली बार 1 जुलाई 2022 को विंडफॉल टैक्स लगाया। इस कर का उद्देश्य उन तेल कंपनियों पर अतिरिक्त कर लगाना था, जो वैश्विक बाजार में उच्च दाम पर अपने उत्पाद बेचकर अप्रत्याशित मुनाफा कमा रही थीं।
विंडफॉल टैक्स की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
जब वैश्विक बाजार में डीजल, पेट्रोल और हवाई ईंधन (ATF) की कीमतें घरेलू बाजार से अधिक हो जाती हैं, तो रिफाइनरियां निर्यात बढ़ाकर अधिक मुनाफा कमाने लगती हैं। इसका प्रभाव घरेलू बाजार में इन उत्पादों की उपलब्धता पर पड़ता है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार विंडफॉल टैक्स लगाती है। यह कर कंपनियों को अपने अतिरिक्त मुनाफे का एक हिस्सा सरकार को देने के लिए बाध्य करता है एवं घरेलू आपूर्ति को संतुलित करता है।
विंडफॉल टैक्स कब घटाया या हटाया जाता है?
विंडफॉल टैक्स को तब हटाया या कम किया जाता है, जब वैश्विक बाजार में कीमतें सामान्य स्तर पर लौट आती हैं। उदाहरण के लिए, जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो तेल कंपनियां निर्यात स्वाभाविक रूप से कम कर देती हैं। ऐसे में विंडफॉल टैक्स की आवश्यकता नहीं रह जाती। सरकार ने कच्चे तेल की घटती कीमतों को देखते हुए इस टैक्स को अब पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
जुलाई 2022 में पहली बार लागू हुआ था
विंडफॉल टैक्स का उद्देश्य मुख्य रूप से राजस्व बढ़ाना और घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करना था। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान कच्चे तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। इसी वजह से भारत सरकार ने घरेलू उत्पादकों एवं निर्यातकों पर यह कर लागू किया।
तेल कंपनियों के लिए सकारात्मक संकेत
वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें $80-$90 प्रति बैरल के बीच स्थिर हैं। इस फैसले से रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी रिफाइनिंग कंपनियों और अन्य तेल उत्पादकों को राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार के इस कदम से घरेलू तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
एक क्विंटल चांदी की सिल्लियां, लाखों की नकदी...! यूपी में मिला कुबेर का खज़ाना
महाराष्ट्र में पर्यवेक्षक बनाए गए सीतारमण और विजय रूपाणी, विधायकों संग करेंगे बैठक
8 दिन में किसान के घर में 22 बार लगी आग, गांव में मचा हाहाकार