नई दिल्ली: इंडियन इकॉनमी को लेकर एक खुशखबरी सामने आई है। दरअसल, जहाँ एक तरफ अमेरिका-ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां मंदी की आशंका से चिंतित हैं, वहीं दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत एकदम तंदुरुस्त बनी हुई है। इसके संकेत पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के आंकड़ों से मिले हैं। नए ऑर्डर, मैन्युफैक्चरिंग में विस्तार, डिमांड बढ़ने और लागत में कमी आने से देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मार्च माह के दौरान तीन माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। सोमवार (3 अप्रैल) को जारी किए गए मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी की है।
रिपोर्ट के अनुसार, एसएंडपी ग्लोबल भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) मार्च माह में बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया है। इससे पहले फरवरी में यह 55.3 पर था, जो 2023 में अब तक परिचालन परिस्थितियों में सबसे सशक्त सुधार को प्रदर्शित करता है। मार्च के PMI आंकड़े के मुताबिक, निरंतर 21वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार हुआ है। बता दें कि, PMI में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का मतलब है कि कारोबारी गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट आई है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की सहायक निदेशक पॉलियाना डी लीमा का कहना है कि, 'मार्च में भारतीय सामानों की अंतर्निहित मांग तेज रही। उत्पादन में निरंतर विस्तार हो रहा है और कंपनियों ने अपना भंडार बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।' सर्वे के अनुसार, लागत संबंधी मुद्रास्फीति मार्च में ढाई वर्षों के अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई और इसके कारण आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव कम होना तथा कच्ची सामग्री की उपलब्धता बढ़ना है।
रिपोर्ट बताती है कि 96 फीसद कंपनियों को फरवरी के बाद से लागत दबाव में कोई बदलाव महसूस नहीं हुआ है। लीमा ने कहा कि, 'बीते वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बिक्री के भाव और बढ़े हैं, मगर मुद्रास्फभीति की दर सामान्य है और लगभग फरवरी जितनी ही है। बिक्री बढ़ाने की खातिर शुल्क यथावत रखे गए हैं।' रोजगार के मोर्चे पर, व्यापार में मामूली वृद्धि होने के कारण कंपनियों ने नई भर्तियां नहीं की। लीमा ने कहा कि कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं के पास पर्याप्त क्षमता है, काम का दबाव अधिक नहीं होने से मार्च में रोजगार सृजन प्रभावित हुआ है।
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