मजहब की लड़ाई हर जगह है फिर वो हिन्दुस्तान हो पाकिस्तान। हर जगह आपको लोग अपने धर्म के लिए लड़ते मिल जाएंगे। हिन्दू कहता है मुसलमान बुरे हैं, मुसलमान कहता है हिन्दू बुरे हैं। ऐसे ही हर धर्म के लोग अपने धर्म को सही और दूसरे के धर्म को गलत बताते हैं। हर जगह धर्म की लड़ाई है क्योंकि सभी को अपने धर्म की हर बात अच्छी लगतीहै वहीँ दूसरे के धर्म की हर बात बुरी। वैसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं मुस्लिम धर्म की वह अच्छी बातें जो हर हिन्दू धर्म के लोगों को उनसे सीखनी चाहिए।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आजकल हिन्दू धर्म के लोगों को देखा जाएतो वह कहीं ना कहीं मॉर्डन बनते चले जा रहे हैं और अपनी सभ्यता को खोते चले जा रहे हैं। मंदिर जाने से लेकर साथ खाना खाने तक में हिन्दू धर्म के लोग पीछे हैं। ब्राह्मणों को देखा जाए तो वह तिलक लगाने, जनेऊ धारण करने को छोड़ रहे हैं क्योंकि वह मॉर्डन बन रहे हैं और यह सब कुछ वह पुराना मानते हैं। ऐसे में अगर हम बात करें मुस्लिम लोगों की तो उनके लिए जो नियम शुरू से बने हैं वह आज तक उसी पर अमल करते चले जा रहे हैं फिर वह नियम बुरे हो, अच्छे हो, सही हो या गलत। वैसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं मुस्लिम धर्म के लोगों की वह बातें जो बहुत अच्छी है और उन्हें देखकर कोई बुरा नहीं कह सकता। आइए बताते हैं।
हर शुक्रवार नमाज पढ़ना- मुस्लिम धर्म के लोगों को देखा जाए तो वह हर शुक्रवार को नमाज पढ़ते हैं। हर शुक्रवार के दिन आप मस्जिदों में भीड़ देख सकते हैं जो नमाज पढ़ने के लिए रहती है। मुस्लिमों के हर घर में सजदे होते हैं और हर उम्र के लोग सजदा करते हैं। यहाँ बच्चों को भी बचपन से ही नमाज पढ़ने के लिए कहा जाता है और वह बच्चा अपने बड़ों की बात को मानकर हर दिन नमाज पढता है। वहीँ अगर हम हिन्दू धर्म के लोगों के बारे में बात करें तो आजकल आप देख सकते हैं वह मंदिर भी बड़ी मुश्किल से जाते हैं। कुछ ही प्रतिशत ऐसे लोग बचे हैं जो अपनी श्रद्धा भक्ति से मंदिर में दर्शन करते हैं क्योंकि अधिकतर लोगों को किसी ना किसी मन्नत के चलते मंदिर जाते हुए देखा जाता है। बात करें बच्चों की तो बच्चों को भी हिन्दू धर्म में बचपन से ना रामायण पढ़ने के लिए कहा जाता है, ना भगवत गीता। वहीँ अगर ब्राह्मण के बच्चों से आप एक श्लोक पूछ लो तो उन्हें वह भी याद नहीं है। तो अब आप ही बताइए कि मुसलमान लोगों की यह बात अच्छी है या नहीं...?
महिलाएं पहनती है बुर्का- मुस्लिम महिलाओं को अगर देखा जाए तो उनके शरीर का एक भी अंग नजर नहीं आता है क्योंकि वह अपने पूरे तन को बुर्के से ढंककर रखती हैं। मुस्लिम महिलाओं की केवल और केवल आँखे नजर आती हैं और वह बुर्का तभी खोलती हैं जब वह अपने घर पर हों। वहीँ घर पर भी ये महिलाएं आपको सलवार कमीज में मिलेंगी ना कि शॉर्ट्स में। आजकल का फैशन भले ही काफी आगे बढ़ चुका है, बदल चुका हो लेकिन संस्कार कभी नहीं भूलने चाहिए। यह बात हमें मुसलमानों से सीखनी चाहिए जो फैशन को तवज्जों ना देकर अपने संस्कारों, अपने ईमान-धर्म को तवज्जो देते हैं और उसे मानते हुए उसी पर काम करते हैं। आजकल लड़कियों को शॉर्ट्स, स्कर्ट-टॉप , क्रॉप टॉप-जींस में देखा जा सकता है। कथा हो, पूजा हो या कोई पारिवारिक फंक्शन लेकिन लडकियां ऐसी ही ड्रेस में नजर आती हैं। वहीँ अगर मुसलमानों के बारे में बात करें तो महिलाओं को हमेशा ही सलवार कमीज में देखा जाता है। हिन्दू धर्म में तो अब महिलाओं को सिर पर पल्ला रखने तक में शर्म आने लगी है, वह इसे पुराने रीति-रिवाज मानते हुए मानना ही नहीं चाहती हैं। वैसे यह बात भी मुसलमानों की बेहतरीन कही जा सकती है।
मुसलमान रखते हैं दाढ़ी और लगाते हैं टोपी- मुसलमानों को अक्सर आप सभी ने दाढ़ी रखे हुए और टोपी पहने हुए ही देखा होगा। मुसलमानों में यह भी एक नियम है जिसे वह मानते हैं, वहीँ अगर हिन्दुओं के बारे में बात करें तो कई रीति-रिवाज है जिन्होंने उन्होंने सूली पर चढ़ा दिया है। हिन्दू ब्राह्मणों के बारे में बात करें तो वह जनेऊ पहनने से लेकर तिलक लगाने तक से कतराते हैं। आजकल के बच्चों को देखा जाए तो वह मॉर्डन हो चुके हैं और उन्हें जनेऊ पहनना, तिलक लगाना बहुत बुरा लगता है। वहीँ मुसलमानों में छोटे से छोटे बच्चे आपको टोपी पहने दिख जाएंगे। वहीँ दाढ़ी भी हर किसी बड़ी उम्र के व्यक्ति में नजर आएगी। नियमों को मानते हुए सभी मुसलमान कार्य करते हैं लेकिन हिन्दुओं में कहीं ना कहीं यह नियम मिट्टी में मिलते हुए नजर आ रहे हैं।
खाते हैं एक साथ- मुसलमानों से एक बात यह भी सीखी जा सकती है कि वह सभी अगर खाना खाने बैठे हैं तो एक साथ बैठते हैं। सभी को एक साथ खाते हुए देखा जा सकता है। यह सभी हर दिन रात का भोजन हो या दिन का खाना सभी परिवार के साथ बैठकर ही खाते हैं। वैसे कहा जाता है घर में अगर सभी एक साथ बैठकर खाए तो प्यार बढ़ता है। वहीँ अगर हिन्दुओं में देखा जाए तो अक्सर ही घर में पुरुष पहले खाना खाते हैं और फिर महिलाएं आखिरी में, साथ में खाना खाने वाले दृश्य आपको हिन्दू घरों में बहुत कम देखने को मिलेंगे।
नोट:- ये लेख, लेखक के व्यक्तिगत विचारों पर आधारित है, किसी भी धर्म के लोगों की आस्था को ठेस पहुँचाना या अपमान करना इस लेख का उद्देश्य नहीं है।
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