दुनिया की अग्रणी वेब सर्च कंपनी गूगल अपने क्रोम ब्राउजर के incognito मोड को अपडेट करने जा रहा है और इसके बाद थर्ड-पार्टी साइट्स इस मोड में यूजर को ट्रैक नहीं कर पाएंगी. सर्च इंजन कंपनी ने एक ब्लॉग में इस बारे में लिखा और बताया कि वह एक गड़बड़ी को फिक्स कर रहा है, जिसकी मदद से वेबसाइट्स ट्रैक कर सकती थीं कि यूजर incognito मोड में सर्च और ब्राउज कर रहा है. ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने बताया कि यह गड़बड़ी क्रोम के फाइलसिस्टम एपीआई में थी और इसे Chrome 76 रिलीज के साथ ही फिक्स कर दिया जाएगा. वेब डिवेलपमेंट कम्युनिटी को इस गड़बड़ की जानकारी थी. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
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अपने बयान में क्रोम ब्राउजर के incognito मोड को लेकर दावा किया जाता है कि इस मोड में इंटरनेट ब्राउज करने पर आपकी सर्च और ब्राउजिंग हिस्ट्री, कुकीज, साइट डेटा और बाकी जानकारी सेव नहीं होती. हालांकि, अब तक इस फीचर के बावजूद भी वेबसाइट्स ट्रैक कर सकती हैं कि यूजर incognito मोड में सर्च या ब्राउज कर रहा है. ऐसा फाइलसिस्टम एपीआई से जुड़ी खामी के चलते हो रहा था. गूगल इसे फिक्स करते हुए जल्द ही अगला अपडेट देने जा रहा है, जिसके बाद वेबसाइट्स टैक नहीं कर पाएंगी कि यूजर रेग्युलर मोड में ब्राउजिंग कर रहा है या फिर incognito मोड में है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गूगल के पार्टनर डिवेलपमेंट मैनेजर ऑफ न्यूज ऐंड वेब पार्टनरशिप्स बार्ब पलसेर ने ब्लॉग पोस्ट में लिखा, 'incognito मोड में क्रोम का फाइलसिस्टम एपीआई डिसेबल हो जाता है, जिससे यूजर की ऐक्टिविटी से जुड़ा कोई डेटा डिवाइस में स्टोर न हो. साइट्स इस फाइलसिस्टम एपीआई की उपलब्धता को चेक कर सकती हैं और अगर उन्हें कोई एरर मेसेज मिलता है तो वे मान लेती हैं कि यूजर एक प्राइवेट सेशन में है और यूजर को दूसरी तरह का एक्सपीरियंस देती हैं.' गूगल के इंजिनियर्स फाइलसिस्टम एपीआई के बिहेवियर को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ये बदलाव 30 जुलाई को क्रोम 76 के रिलीज के साथ लागू हो जाएंगे.
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बीते दिनों गूगल की ओर से यह कदम माइक्रोसॉफ्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्नसिलवैनिया ऐंड कार्नेगी मेलॉन के रिसर्चर्स ने द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के बाद उठाया गया है. इस रिपोर्ट में कहा है कि रिसर्चर्स ने पाया कि हजारों पॉर्न साइट्स यूजर्स के डेटा को आगे फॉरवर्ड कर रही हैं और यूजर्स incognito मोड में इन साइट्स को सर्फ करने के बाद मान रहे थे कि कोई भी डेटा सेव नहीं होता और उन्हें ट्रैक नहीं किया जाता. रिपोर्ट में कहा गया है कि गूगल, फेसबुक और ऑरेकल यूजर्स को ट्रैक कर रहे थे. हालांकि, नए बदलाव के बाद साइट्स केवल यह नहीं जान सकेंगी कि यूजर incognito मोड में है. बाकी डेटा को लेकर कोई पॉलिसी स्पष्ट नहीं है.
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